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यूपी: कोरोना संक्रमण काल में सरकारी विद्यालयों का बढ़ा दबदबा, वाराणसी में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी।

यूपी: कोरोना संक्रमण काल में सरकारी विद्यालयों का बढ़ा दबदबा, वाराणसी में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी।


वाराणसी। कोविड काल में राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों की संख्या कम हुई है। छोटे स्तर के निजी विद्यालयों में इसका असर अधिक दिख रहा है। वहीं सरकारी विद्यालयों में छात्रसंख्या तेजी से बढ़ी है। कोविड काल में तमाम अभिभावकों ने अपने बच्चों का निजी संस्थानों ने नाम कटवाकर सरकारी विद्यालयों में नाम लिखवाया। निजी विद्यालयों द्वारा शुल्क की डिमांड करना इसके पीछे मुख्य कारण रहा।

वहीं कोरोना महामारी पर गत माह सामाजिक संस्था असर के आनलाइन सर्वों कर बुधवार को रिपोर्ट जारी किया। सर्वे मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों पर आधारित है। फोन के माध्यम से बच्चों व उनके अभिभावकों के अलावा विद्यालयों के फीड बैक के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें कहा गया है कि 6-14 आयु वर्ग के बच्चों का निजी स्कूलों में नामांकन 2018 में 32.5 फीसद से घटकर, 2021 में 24.4 फीसद हो गया है। 

बता दें कि यह बदलाव सभी कक्षाओं के बच्चों, और लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए दिख रहा है। हालांकि, अभी भी लड़कियों की तुलना में ज्यादा लड़के निजी स्कूलों में नामांकित हैं। 6-14 आयु वर्ग के अनामांकित बच्चों के अनुपात में कोई बदलाव नहीं: 2018 में अनामांकित बच्चों का अनुपात 1.4 फीसद था, जो कि 2020 में बढ़कर 4.6 फीसद हो गया था। यह अनुपात 2021 में अपरिवर्तित रहा।

वहीं 15-16 आयु वर्ग के बच्चों का सरकारी स्कूल में नामांकन का आंकड़ा 2018 में 57.4 फीसद से बढ़कर 2021 में 67.4 फीसद हो गया है। केरल को छोड़कर सभी राज्यों में ट्यूशन में वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में, 2018 में 20 फीसद से कम बच्चे निजी ट्यूशन कक्षाएं लेते थे। 2021 में यह अनुपात बढ़कर लगभग 38.7 फीसद हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर अरुणाचल प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश और नागालैंड का दूसरा स्थान है जहाँ यह बढ़ोतरी सबसे ज्यादा (19.1फीसद प्वाइंट) हुई है ।

वहीं पिछले वर्ष स्कूल बंद होने के बाद जब सभी शैक्षिक प्रक्रियाएं आनलाइन होने लगी, तब स्मार्टफोन शिक्षण का प्रमुख स्रोत बन गया। इससे सबसे वंचित वर्ग के बच्चों के पीछे छूट जाने की संभावना दिखने लगी। स्मार्टफोन की उपलब्धि 2018 में 36.5 फीसद से बढ़कर 2021 में 67.6 फीसद हो गई है, लेकिन सरकारी विद्यालय जाने वाले बच्चों की अपेक्षा 63.7 फीसदी निजी विद्यालय के ज्यादा बच्चों के पास स्मार्टफोन उबलब्ध हैं।

वहीं लगभग सभी नामांकित बच्चों के पास अपनी वर्तमान कक्षा की पाठ्यपुस्तकें हैं। सरकारी और निजी दोनों वद्यालयों के बच्चों के लिए यह अनुपात पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा असर 2020 में 79.6 फीसद से बढ़कर 91.3 फीसद हो गया है।