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Chhath Puja 2021: नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व आज से, जानिए छठ मइया के पूजन में वेदी का महत्व
धर्म । लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व डाला छठ सोमवार से शुरू होगा। पर्व पर संतान की सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और छठी मइया की आराधना की जाएगी। पर्व की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय के साथ होगी। इस दिन व्रती लोग स्नान कर नए वस्त्रत्त् धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करेंगे। नौ नवंबर यानी मंगलवार को खरना के दिन से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मइया का घर में आगमन होता है। बुधवार यानी 10 नवंबर को संगम व गंगा-यमुना के घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस क्रम में गुरुवार यानी 11 नवंबर को उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन होगा। पर्व को लेकर घर से घाट तक तैयारियां शुरू हो गई हैं। पूजन समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में व्रती लोगों ने घर पर ही पूजन-अर्चन कर अर्घ्य दिया था। लेकिन इस बार कोरोना का असर कम होने से घाटों पर व्रती लोगों की भीड़ उमड़ेगी।
संगम नोज पर पूर्वांचल छठ पूजा एवं विकास समिति के कार्यालय का शुभारंभ हुआ। समिति के संयोजक व अध्यक्ष अजय राय ने विधिविधान से पूजन-अर्चन किया।
छठ मइया के पूजन में वेदी का बहुत महत्व है। इसलिए सोमवार से लोग घाटों पर वेदी बनाकर स्थान निर्धारित करेंगे। डूबते सूर्य के साथ जिस स्थान पर वेदी बनाई जाएगी उसी पर उगते सूर्य की पूजा की जाएगी। समाजसेवी नागेन्द्र सिंह ने बताया कि समर्पण और सहयोग से पर्व एक महोत्सव का रूप ले चुका है।
कोरोना काल में उत्सवधर्मी संस्कृति भी बदली है। सोमवार से शुरू हो रहे सूर्योपासना पर्व से पूर्व ही पारंपरिक छठ गीतों की लय, धुन भी कोरोना से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करती सुनाई दे रही है। लोक मंगल की कामना से जुड़े संदेशपरक गीत को प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा ने गाया है। उनके गाए गीत के बोल हैं.. अइसन विपतिया आएल, बरत लगायीं पार। रउरे से असरा लगल बा छठि मइया जग के आधार। बहंगी से भारी समैया, सुख में डूबल संसार, दु:ख में डूबल संसार..।