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जमानत के आदेश को जेल प्रशासन तक पहुंचाने में देरी गंभीर समस्या’, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बड़ी टिप्पणी
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने जेल प्राधिकारियों तक जमानत के आदेश के संप्रेषण में देरी को ‘‘बहुत गंभीर खामी’’ बताया है और ‘‘युद्ध स्तर पर’’ इसका समाधान किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि यह समस्या हर विचाराधीन कैदी की ‘‘स्वतंत्रता’’ को प्रभावित करती है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने वादियों को ऑनलाइन कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए ‘ई-सेवा केंद्रों’ और डिजिटल अदालतों के उद्घाटन के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन समारोह में कहा, ‘‘आपराधिक न्याय प्रणाली में सबसे गंभीर खामी जमानत आदेश के संप्रेषण में देरी है और इस समस्या से युद्ध स्तर पर निपटे जाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह हर विचाराधीन कैदी या उस कैदी की भी आजादी को भी प्रभावित करती है, जिसकी सजा निलंबित की गई है….’’
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एक क्रूज पोत से मादक पदार्थ मिलने के मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा जमानत मंजूर किए जाने के बावजूद मुंबई स्थित आर्थर रोड जेल में एक अतिरिक्त दिन बिताना पड़ा था. इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने न्यायालय के आदेशों के क्रियान्वयन में विलंब की बढ़ती खबरों पर नाराजगी जताई थी. उसने कहा था कि जमानत के आदेशों के संप्रेषण के लिए एक ‘‘सुरक्षित एवं विश्वसनीय’’ माध्यम की स्थापना की जायेगी. पीठ ने कहा था, ‘‘हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के युग में हैं लेकिन हम अब भी आदेश पहुंचाने के लिए आसमान में कबूतर उड़ाना चाहते हैं.’’
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में उसके आदेशों को तेजी से प्रेषित करने और उनके अनुपालन के लिए ‘फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस’ (फास्टर) परियोजना को लागू करने का आदेश दिया. उसने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से हर जेल में इंटरनेट सुविधा सुनिश्चित करने को कहा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ओडिशा उच्च न्यायालय की एक पहल का जिक्र किया, जिसमें प्रत्येक विचाराधीन कैदी और कारावास की सजा भुगत रहे हर दोषी को “ई-हिरासत प्रमाण पत्र” प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.