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हरियाणा: पानीपत में टेक्सटाइल उद्योगों में आग से मंडरा रहा बड़ा खतरा।
हरियाणा। टेक्सटाइल नगर पानीपत में आए दिन उद्योगों में आग लग रही है। शनिवार को सिवाह में जैनिथ टेक्सटाइल में आग लगी। सोमवार को बिंझोल रोड पर वीरेंद्र ट्रेडिंग के शैड में आग लग गई। आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की साथ गाड़ियां लगी। चार घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। पिछले दो माह मे उद्योगों में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
वहीं हर माह किसी न किसी उद्योग में आग लग रही है। आग को रोकने के लिए उद्योगों में फायर हाइडेंट लगा होना चाहिए। अंडर ग्राउंड और ऊपर टैंक की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि आग लगने पर पानी की व्यवस्था हो सके। ज्यादातर उद्योग फायर ब्रिगेड के नियमों पर खरा नहीं उतर रहे। जिन उद्योगों में आग लगी है उनमें से कईंयों के पास फायर ब्रिगेड की एनओसी तक नहीं मिली। आग लगने के हादसे नहीं रुक पा रहे हैं।
वहीं पानीपत में कपास के साथ-साथ पोलियस्टर कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। अर्थात शहर बारूद के ढेर पर काम कर रहा है। उसके बावजूद भी आग के खतरों को रोकने का प्रबंध नहीं है। बीते माह के दौरान सबसे बड़ी आग जाटल रोड स्थित एक्सपोर्ट हाउस में लगी। जिससे 12 परिवारों की घर से बेघर होना पड़ा। उद्योग के आसपास बने घरों तथा दुकानों को भी आग लगने से क्षति उठानी पड़ी।
वहीं गनीमत यह रही की आग लगने से कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। उसके बाद ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में जिंदल स्पिनिंग मिल, चौटाला रोड पर बालाजी टेक्सटाइल में आग लगी। वर्ष 2007 में आरआर टेक्सटाइल मे आग लगने से 10 से अधिक श्रमिकों की जान गई थी। आग लगने के हादसा हर वर्ष बढ़ते जा रहे हैं।
वहीं पानीपत में 12 हजार से अधिक टेक्सटाइल उद्योग लगे हुए हैं। यहां 70-80 हजार करोड़ का कारोबार होता है। जिसमे से 15 हजार करोड़ का टेक्सटाइल निर्यात होता है। इन 12 हजार उद्योगों में 600 उद्योगों के पास ही फायर विभाग की एनओसी है। फायर विभाग की एनओसी उन्हीं उद्योगों को मिलती है जिनके यहां पानी का टैंक छह इंची पाइप लाइन बना हुआ। साथ आग बुझाने के यंत्र लगे हों। उद्योगों में पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। पोलिस्टर धागा कच्चे में माल में प्रयुक्त होने के कारण आगजनी के हादसे अधिक हो रहे हैं।
बता दें कि वहीं दूसरी तरफ फायर आफिसर रामेश्वर ने बताया कि फायर ब्रिगेड विभाग ने एनओसी न लेने वाले 600 उद्योगों को नोटिस जारी किया है। 30 दिन का समय पहले नोटिस में होता है। उसके बाद दूसरा , तीसरा नोटिस जारी होता है। यदि फिर भी एनओसी नहीं ली जाती तो उच्च अधिकारियों को लिखा जाता है। तीसरे नोटिस के बाद कार्रवाई की जाती है एक एकड़ मे फायर ब्रिगेड की एनओसी के लिए सुविधा शुल्क का एक लाख रुपये का रेट होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ये आरोप गलत है। अनेक शिकायतें हमारी हो चुकी है। फायर सिस्टम न लगाने वाले उद्यमी ही ऐसे आरोप लगाते हैं।