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मध्य प्रदेश: ऊधमपुर एक्सप्रेस अग्निकांड की जांच के लिए हेतमपुर स्टेशन पहुंचे डीआरएम। .
मध्य प्रदेश। ऊधमपुर दुर्ग सुपरफास्ट ट्रेन के दो एसी कोच में शुक्रवार को लगी आग से मचे हड़कंप के बाद हादसे के कारणों की जांच करने आधी रात को झांसी मंडल के डीआरएम और शनिवार को तड़के लखनऊ से चीफ आफ रेलवे सिक्योरिटी टीम लेकर मध्य प्रदेश के मुरैना जिलांतर्गत हेतमपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। उच्च स्तरीय जांच दल डिब्बों में लगी आग का दोष यात्रियों के माथे मढ़ने की जुगत में जुटे ज्यादा नजर आए, जबकि कल ही यह साफ हो गया था कि हादसा डिब्बे के अंदर बिजली लाइन में शार्ट सर्किट से हुआ। इसे कोई और नहीं, बल्कि आग से जले डिब्बे में बैठे टिकट कलेक्टर टीटी ही बता चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ जम्मू के ऊधमपुर से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जाने वाली ऊधमपुर - दुर्ग सुपर फास्ट एक्सप्रेस की दो एसी डिब्बों (ए-1 और ए-2) में शुक्रवार की दोपहर आग लग गई थी। इन दोनों डिब्बों में 77 यात्री थे, जिनमें से कई यात्री डिब्बों के कांच फोड़कर बाहर निकाले गए। भगदड़ व चीख-पुकार में कई यात्री घायल हो गए। हादसे के कारण ग्वालियर-आगरा ट्रैक तीन घंटे तक जाम रहा।
बता दें कि उच्चतरीय दल हेतमपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा, जहां आग से जलकर बर्बाद हुए दोनों डिब्बे रखे हुए हैं। उच्च स्तरीय दल डिब्बों में आग लगने के कारणों को किसी यात्री द्वारा फेंकी गई सिगरेट-बीड़ी के कारण बताता रहा। इसी बीच, आरपीएफ व झांसी मंडल के कुछ अफसरों ने हादसे को शार्ट सर्किट से होना बताया तो लखनऊ के अफसरों ने उन्हें चुप रहने की नसीहत दे डाली।
वहीं जांच के नाम पर पूरे मामले की दिशा बदलने में उच्च स्तरीय दल इतनी शिद्दत से लगा रहा कि सीआरएस व डीआरएम ने चंद मिनट तक जले हुए डिब्बों को देखा, फिर साढ़े छह घंटे से ज्यादा समय तक स्पेशल ट्रेन के डिब्बे के अंदर बैठकर आला अफसरों की जांच पड़ताल की। दोपहर साढ़े 12 बजे वे झांसी के लिए रवाना हो गए।
वहीं दूसरी तरफ डीआरएम आशुतोष कुमार से जब यह पूछा गया कि ट्रेन के डिब्बों में रखे आग बुझाने वाले सिलेंडर खाली क्यों थे, यह लापरवाही किसकी है और संबंधित पर क्या कार्रवाई हो रही है तो वे चुप रह गए। एक शब्द बोले बिना वे स्पेशल ट्रेन के डिब्बे में घुस गए और दरवाजा बंद कर बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात करवा दिया।