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शिमला: एंबुलेंस सेवाओं पर नई कंपनी के साथ नहीं हुआ करार, सुविधा मिलेगी या नहीं संशय अभी बरकरार। .

शिमला: एंबुलेंस सेवाओं पर नई कंपनी के साथ नहीं हुआ करार, सुविधा मिलेगी या नहीं संशय अभी बरकरार। .


शिमला। 108 एंबुलेेंस सेवाओं का टेंडर बेशक बिहार की पशुपति दीनानाथ प्राइवेट लिमिटेड यानी पीडीपीएल के साथ हुआ हो, लेकिन मरीजों के लिए ऐसी सेवाएं जारी रहने पर संशय बरकरार है। इसकी वजह यह है कि नई कंपनी के साथ सरकार ने अभी करार नहीं किया है। सरकार के स्तर पर कंपनी से बातचीत चल रही है।

वहीं दूसरी ओर 1100 कर्मियों के भविष्य पर अंधकार छा गया है। एक दशक से ये जीवीके कंपनी के साथ सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उस कंपनी की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। 16 नवंबर के बाद कर्मचारियों को टर्मिनेट किया जाएगा। कंपनी और कर्मियों के बीच पगार को लेकर विवाद ही रहा। मामला अदालत तक पहुंचा। कोर्ट ने न्यूनतम वेतन देने के आदेश दिए, पर इसकी पूरी तरह से पालना नहीं हुई। 

वहीं आलम यह है कि बढ़ी हुई पगार बढ़ाने का एरियर पहले 41 करोड़ था, अब बढ़कर 50 करोड़ से भी अधिक हो गया है। कोर्ट ने न्यूनतम वेतन 15 हजार देने को कहा था। फिर भी 12 हजार ही दिया। 108 एंबुलेंस की कुल 198 गाड़ियां थी। इनमें से 35 से 40 गाड़ियां खराब हो गई थी। इन्हें रिप्लेस नहीं किया गया। इनमें चालक से लेकर फार्मासिस्ट, डाटा आपरेटरों को पहले भी कई बार आंदोलन करने की नाैबत आई। जब तक दूसरी कंपनी को सेवाएं नहीं ली जाएंगी, तब तक एंबुलेंस यही कर्मी चलाएंगे, लेकिन जैसे ही सेवाएं टर्मिनेट होंगी, तब बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। उससे निपटने के लिए क्या इंतजाम होंगे, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

बता दें कि वर्ष 2014 से जीवीके कंपनी ही जच्चा-बच्चा से अस्पतालों से घर तक छोड़ने से जुड़ी सेवाएं भी दे रही है। ये 125 एंबुलेंस हैं। इनमें कर्मचारी भी 125 ही हैं। ये सेवाएं भी नई कंपनी के हवाले होंगी। वहीं कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने कर्मियों का करोड़ 90 लाख का ईपीएफ भी डकारा। इस संबंध में सीबीआइ ने केस दर्ज किया था। गहन जांच के बाद कंपनी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अब कोर्ट के माध्यम से कोर्ट में केस चल रहा है।

बता दें कि 16 नवंबर के बाद कर्मचारियों को टर्मिनेट किया जाएगा। नई कंपनी के साथ करार नहीं हुआ है। कर्मचारियों की पुरानी सीनियाेरिटी खत्म हो जाएगी। जीवीके ने ईपीएफ में करोड़ों का चूना लगाया। कोर्ट के आदेशों के बाद बढ़ा हुआ वेतन और एरियर नहीं दिया। यह 50 से 60 करोड़ हो गया है। अभी सेवाएं बंद नहीं की है। पुरानी देनदारी जब तक क्लीयर नहीं होती, नई कंपनी के अधीन सेवाएं नहीं दे पाएंगे।

वहीं एनएचएम निदेशक हेमराज बैरवा ने बताया कि हिमाचल में किसी भी तरह की एंबुलेंस सेवा प्रभावित नहीं होगी। 102 एबुलेंस सेवाओं को लेकर पुरानी कंपनी के साथ हुआ करार खत्म हो रहा है। उन्हें दिसंबर तक सेवाएं चालू रखने की बात कही गई है।