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यूपी: वाराणसी में शाही नाले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ खफा, वहीं आगमन पर करेंगे मौके का मुआयना।

यूपी: वाराणसी में शाही नाले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ खफा, वहीं आगमन पर करेंगे मौके का मुआयना।


वाराणसी। शाही नाला के कार्य को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद खफा हैं। उन्होंने शनिवार की सुबह सर्किट हाउस में बैठक की। इस दौरान शाही नाला के कार्य को लेकर नाराजगी जाहिर की। कहा कि आखिर कौन-सी वजह है कि शाही नाला का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इस पर अफसर जवाब नहीं दे सके। नाराज मुख्यमंत्री ने नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन व अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे को बनारस बुलाया। दोनों जिम्मेदारों के साथ मुख्यमंत्री खुद रविवार को मौका-मुआयना करेंगे और कार्य की बाधा को समझेंगे।

वहीं मुख्यमंत्री के तेवर देखकर जल निगम में हड़कंप मचा है। पूरी आशंका है कि जिम्मेदार अफसरों पर गाज गिर सकती है। खास बात यह कि जिस मुख्य अभियंता एके पुरवार को शाही नाला के कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी, वह बीते माह सेवानिवृत्त हो गए। नए मुख्य अभियंता को मामले की पूरी जानकारी नहीं है। वहीं, इस कार्य को देख रहे दोनों परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन व राजीव रंजन घर की समस्याओं से परेशान हैं। एसके बर्मन की तबीयत ठीक नहीं है। उन्हें डेंगू से पीडि़त होने की बात बताई जा रही है जबकि परियोजना प्रबंधक राजीव रंजन की बिटिया की तबीयत ठीक नहीं होने की जानकारी मिली है।

बता दें कि शाही नाला से जुड़े दो कार्य हो रहे हैं। एक उसकी सफाई व जीर्णोद्धार का कार्य है जो वर्ष 2016 से प्रारंभ हुआ है तो दूसरा कार्य कबीरचौरा से चौकाघाट तक नई पाइप लाइन बिछाकर शाही नाले के डायवर्जन का कार्य है। यह कार्य भी वर्ष 2019 में प्रारंभ हुआ है। अब तक दोनों कार्य पूरा नहीं हो सके हैं। शाही नाले के जीर्णोद्धार कार्य की प्रगति की बात करें तो अब 681 मीटर का कार्य शेष बचा है। 

वहीं गंगा का जलस्तर बढऩे से जीर्णोद्धार व डायवर्जन का शेष कार्य 21 अक्टूबर 2021 को प्रारंभ हुआ। जीर्णोद्धार कार्य जिस गति से चल रहा है उससे कार्य की पूर्णता फरवरी 2022 से पहले संभव नहीं लग रही है, जबकि डायवर्जन कार्य भी दिसंबर 2021 के बाद ही पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। शाही नाले के दोनों कार्य जब प्रारंभ हुए थे तो एक वर्ष में कार्य पूरा कर लेना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मियाद पर मियाद बढ़ती गई। 

बता दें कि मुख्यमंत्री से लेकर शासन-प्रशासन से जुड़े जिम्मेदार चेतावनी पर चेतावनी देते गए, लेकिन जल निगम को कोई फर्क नहीं पड़ा। इस कार्य को कर रही चेन्नई की कंपनी श्रीराम ईपीसी का भी कहीं पता नहीं चल रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो कंपनी बोरिया-बिस्तर बांधकर निकल चुकी है। अफसरों के साथ सांठ-गांठ कर भुगतान होने की बात भी कही जा रही है। हालांकि, इस मसले को लेकर जिम्मेदार अफसर पुष्ट नहीं कर रहे हैं।

वहीं शाही नाले के जीर्णोद्धार का कार्य फरवरी 2016 में शुरू हुआ। जुलाई 2017 तक काम पूरा करना था, लेकिन क्रमवार 31 दिसंबर 2017, 31 जुलाई 2018 और 31 दिसंबर 2018 तक समय बढ़ाया गया, लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया। फिर मार्च 2019, सितंबर 2019, मार्च 2020, दिसंबर 2020, मार्च 2021 व नवंबर 2021 की मियाद पूरी करने के लिए तय की गई, लेकिन मामला ढाक के तीन पात ही रहा।