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यूपी: लखनऊ में मौसम के बदलाव से यूपी के किसानों को सता रहा आलू खराब होने का डर।
लखनऊ। आलू फसल की बुआई पूरी हो चुकी है। शुक्रवार को मौसम में आए बदलाव के बाद किसान अब सिंचाई को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दें। बहुत से किसानों ने खुरपी की सहायता से आलू का बुआई की और बहुत से किसानों ने मशीन से की है। अच्छी उपज लेने के लिए सिंचाई का सही और सफल प्रबंधन आलू की उपज को बढ़ाने में लाभकारी होता है। बख्शी का तालाब के चंद्रभान गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय की कृषि विशेषज्ञ डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया किभरपूर उपज प्राप्त करने के लिए समय से बुआई की गयी आलू की फसल में सात से 10 बार सिंचाई करनी चाहिए।
वहीं हल्की भूमियों में बुआई के आठ से 10 दिन बाद तथा भारी भूमियों में 10 से 12 दिन बाद अंकुरण से पूर्व पहली सिंचाई करना चाहिए। सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि आलू की गूले पानी में दो तिहाई से अधिक न डूबे अन्यथा पानी की अधिकता के कारण मृदा में अजैबिक दशाएं उत्पन्न होती हैं। आलू की फसल में दूसरी सिंचाई बुवाई के 20 से 22 दिन बाद तथा तीसरी सिंचाई मिट्टी चढ़ाने के तुरंत बाद करनी चाहिए। इस समय कंद बनने की प्रारंभिक अवस्था शुरू हो जाती है।
बता दें कि अंतिम सिंचाई खुदाई के लगभग 10 दिन पूर्व करनी चाहिए। डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अधिकतर यह देखा गया है कि नवंबर से जनवरी के बीच में हल्की फुल्की बारिश या कभी तेज बारिश भी हो जाती है इसमें किसानों को सलाह दी जाती है कि आसमान में बादल छाए हो वातावरण में आद्रता बढ़ी हो उस समय सिंचाई रोक देनी चाहिए जब अच्छी धूप खिले तभी सिंचाई करनी चाहिए।
वहीं नम वातावरण और खिली धूप ना होने के कारण आलू की फसल पर फफूंदी जनित रोग पछेती झुलसा का अधिक प्रकोप होने की संभावना रहती है। ऐसे में हर हालत में कपर आक्सिक्लोराइड-50 डब्लूयूपी की तीन ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की आवश्यकता होती है अथवा फसल पर बीमारी के लक्षण दिखाई देने से पूर्व मैकोज़ेब दो ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव आठ से 10 दिन के अंतराल पर दोहराने की आवश्यकता होती है। झुलसा का भयंकर प्रकोप होने पर फसल को अधिक नुकसान होता है ऐसे में किसानों को सतर्क रहना चाहिए। आलू में सिंचाई का कार्य दिन में ही पूरा करें।