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यूपी: वाराणसी में देव दीपावली तक डीजल बोट के प्रदूषण से मुक्त होगा गंगा का किनारा।

यूपी: वाराणसी में देव दीपावली तक डीजल बोट के प्रदूषण से मुक्त होगा गंगा का किनारा।


वाराणसी। गंगा में चल रही करीब 500 मोटर बोट देवदीपावली तक सीएनजी से चलने लगेंगी। इस तरह मोक्षदायिनी गंगा दुनिया की पहली नदी होगी जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है। इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी। 

वहीं स्मार्ट सिटी के जीएम डी वसुदेवम के अनुसार गंगा में करीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं। इनमें से करीब 500 बोट डीज़ल इंजन से चलने वाली है। लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लगा चुका है। बचे हुए मोटर बोट को देवदीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है। ये काम गेल इंडिया सीएसआर के तहत करा रही है।

बता दें कि वाराणसी में करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगाया जा रहा है। इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बजरा पर लगभग 2.5 लाख का खर्च होगा। नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ्त लगाई जा रही है। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीजल इंजन वापस ले लिया जाएगा। घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं। जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है। नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दोगुनी दूरी तय कर रहे हैं। धुआं और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है।

वहीं सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुकाबले सात से 11 फीसद ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है। वहीं सल्फर डाईआक्साइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है। डीजल इंजन की तेज आवाज से कंपन होता है। इससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जंतुओं पर बुरा असर पड़ता है। इको सिस्टम भी खराब होता है।