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यूपी: वाराणसी में अमेजन के प्‍लेटफार्म पर आनलाइन बिक रहा था गांजा, कैट विधायक ने कड़ी कार्रवाई की उठाई मांग।

यूपी: वाराणसी में अमेजन के प्‍लेटफार्म पर आनलाइन बिक रहा था गांजा, कैट विधायक ने कड़ी कार्रवाई की उठाई मांग।


वाराणसी। खबर आपको चौंकाती ही नहीं बल्कि खबरदार भी करती है कि अमेजन से अगर आपके घर आपका कोई सदस्‍य कोई सामान मंगाता है तो जरूरी नहीं वह अमेजन जैसे प्रतिष्ठित और भरोसेमंद प्‍लेटफार्म से आया सामान हो! सतर्क हो जाइए क्‍योंकि अमेजन जैसे प्रतिष्ठित प्‍लेटफार्म पर भांग की भी बिक्री हो रही है। अमेजन के ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से एक करोड़ रुपये से अधिक का गांजा बेच दिया गया, जिसके बदले अमेजन को 66 प्रतिशत तक कमीशन भी मिल गया।

वहीं मध्य प्रदेश पुलिस ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से किया गया है। संस्‍था की ओर से केंद्र सरकार से तत्काल इस संगीन मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए यह भी मांग की है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को अमेजन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि, इसने विक्रेता के रूप में काम किया, पैसा एकत्र किया, अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया, कमीशन अर्जित किया।

बता दें कि कैट के राष्ट्रीय सचिव और पंकज अरोरा ने कहा कि किसी भी विक्रेता को पोर्टल पर पंजीकृत करने से पहले, अमेजन को विक्रेता की वास्तविकता के बारे में जानने के लिए केवाईसी करना आवश्यक है। इसके अलावा, अमेजन को गांजा जैसी अवैध वस्तुओं की बिक्री की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। इसके अलावा, हम यह समझने के असमर्थ हैं कि एक तकनीकी दिग्गज कम्पनी अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग अवैध वस्तुओं की बिक्री की पहचान करने के लिए क्यों नहीं करते हैं। 

जबकि वे इन तकनीकों का उपयोग छोटे एमएसएमई के उत्पादों की पहचान और इंडियन मैन्युफैक्चरर्स के उत्पादों बना कर स्वयं के निजी लेबल उत्पाद बनाने में करते है। प्रदेश उपाध्यक्ष अखिलेश मिश्रा व श्याम सुंदर गुप्ता ने एनसीबी सहित सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस अवैधता के लिए अमेजन और उसके शीर्ष प्रबंधन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की है। यदि गांजा को उनके पोर्टल के माध्यम से बेचा जा सकता है तो वो दिन दूर नही जब हथियारों की अवैध आपूर्ति या अन्य राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग में व्यापार भी उनके पोर्टल द्वारा संचालित होगा।

वहीं शैलेश प्रताप सिंह व ज्वाला सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत एक मध्यस्थ होने का दावा कर रहा था और इसलिए सुरक्षित बंदरगाह प्रावधानों का लाभ मांग रहा था। हालांकि, किसी भी विक्रेता को गांजा जैसी प्रतिबंधित/अवैध वस्तु को बेचने की अनुमति देकर, भुगतान स्वीकार करना, डिलीवरी की सुविधा देना और सुनिश्चित करना और इसके परिणामस्वरूप बिक्री कमीशन के रूप में लाभ अर्जित करने को किसी भी तरीके से ई-कॉमर्स मध्यस्थ नहीं कहा जा सकता है।

बता दें कि अखिलेश और राकेश कांत राय ने कहा कि कैट ने 2016 से अमेजन द्वारा नियमों और नीतियों के उल्लंघन के खिलाफ अपनी मजबूत आवाज उठाई है, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे उनके कानून का उल्लंघन करने वाली प्रथाओं को काफी हद तक बढ़ावा मिला है। यह एक स्वीकृत तथ्य है कि विदेशी निवेश वाली कंपनियां भारत को एक बनाना रिपब्लिक के रूप में मान रही हैं जहां वे किसी भी समय कानूनों और नीतियों को अपने पक्ष में तोड़ मोड़ कर इस्तेमाल कर सकती हैं।