कोलकाता । पश्चिम बंगाल सरकार ने 26 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में राज्य में काली पूजा और छठ पूजा के दौरान 2 घंटे के लिए ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी थी। इसके अलावा राज्य में क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर यह छूट 35 मिनट की थी, जिसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।
हाई कोर्ट की तरफ से पूरी तरह बैन के आदेश जारी किए जाने के बाद पटाखा निर्माताओं के संगठन के अध्यक्ष गौतम रॉय ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जलाए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा था, 'क्या पटाखे को टेस्ट कर सकते हैं? क्या 4 नवंबर से पहले ऐसी व्यवस्था आ सकती है? हम अंधे होकर किसी आदेश का पालन करते हुए लोगों को मारना नहीं चाहते।'
कोर्ट ने यह भी कहा था कि पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों के लिए यह असंभव है कि वे ग्रीन पटाखों और प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को अलग-अलग कर पाएं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद से ही कोरोना के मामलों में तेजी से उछाल आ रहा है, जिसकी वजह से राज्य में कई जगह फिर से कंटेनमेंट जोन तक बनाने पड़े हैं। पुलिस ने भी कोरोना नियमों का पालन न करने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती से काम करना शुरू कर दिया है।