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यूपी: वाराणसी में 180 करोड़ के सीएसआर फंड से बनेगा कचरे से कोयला बनाने का प्लांट।

यूपी: वाराणसी में 180 करोड़ के सीएसआर फंड से बनेगा कचरे से कोयला बनाने का प्लांट।

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वाराणसी। रमना में प्रस्तावित कचरे से कोयला बनाने का प्लांट सीएसआर फंड से बनेगा। इस पर करीब 180 करोड़ खर्च होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए वर्ष के पहले सप्ताह तक वाराणसी आ रहे हैं। इस दौरान प्लांट निर्माण की आधारशिला रखेंगे। कूड़े से कोयला बनाने का करार ल नगर निगम और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड बीच हुआ है। 

वहीं देश का यह पहला ऐसा प्लांट है जो पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में लग रहा है। नगर निगम मुख्यालय पर एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड नोएडा के सीनियर मैनेजर हिमांशु फुलेरिया, नगर निगम के अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार मौर्या, एक्सीएन विद्युत एवं यांत्रिक अजय कुमार राम, लेखाधिकारी मनोज त्रिपाठी व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा.एनपी सिंह की मौजूदगी में यह करार हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ़ एनटीपीसी इस प्लांट के निर्माण व संचालन पर आने वाले सभी तरह के खर्च का वहन सीएसआर फंड से करेगा। उधर, एनटीपीसी ने इस प्लांट के निर्माण के लिए नोएडा के सेक्टर 10 में स्थापित मेकावबर बीके प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी है। विकास का यह नया माडल पूरे देश के लिए नजीर है। कूड़ा को संसाधन के रूप में परिवर्तित करने वाला यह प्लांट बनारस के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 

वहीं दूसरी तरफ़ नगर आयुक्त प्रणय सिंह बताते हैं कि कचरे से कोयला बनाने का कार्य विश्व में अब तक कहीं नहीं हुआ है। यह पहला अवसर होगा जब कचरे से बिजली बनाने का कार्य होगा। इसके लिए दादरी में एनटीपीसी ने प्रयोग कर लिया है जिसे अब धरातल पर उतारने की तैयारी हो रही है। प्लांट निर्माण के लिए नगर निगम ने रमना में 25 एकड़ जमीन चिन्हित कर दी है।

वहीं दूसरी तरफ़ 20 एकड़ में प्लांट निर्माण होगा तो पांच एकड़ में कोयला निर्माण के दौरान निकले अवशेष को निस्तारित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से व्यवस्था की जाएगी। एक्सीएन अजय राम बताते हैं कि बनारस में प्लांट की उपयोगिता सिद्ध हुई तो इंदौर में भी प्लांट निर्माण होगा। कुछ दिनों पूर्व भोपाल में भी इसी तरह के संयंत्र लगाने का करार हुआ है।

वहीं दादरी में हुए अध्ययन के अनुसार 600 टन कचरे से 200 टन कोयला बनेगा। प्लांट निर्माण कार्य आगामी 25 साल को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन शहर से छह सौ मीट्रिक टन कचरा निकलता है। शहर विस्तार के बाद करीब आठ सौ मीट्रिक टन कचरा निकासी का अनुमान लगाया जा रहा है। इसलिए प्लांट की क्षमता आठ सौ मीट्रिक टन से अधिक कचरा प्रसंस्करण करने की क्षमता होगी।

बता दें कि वहीं अब तक के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि एक किलो कोयला बनाने में छह रुपये खर्च आएगा। वहीं, कचरे से बिजली बनाने के लिए देश में जहां भी प्लांट लगा है वहां पर प्रति यूनिट 11 से 12 रुपये खर्च आता है जबकि बाजार में प्रति यूनिट बिजली की बिक्री अधिकतम आठ रुपये होती है। ऐसे में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट घाटे का सौदा साबित हो रहा है। 

वहीं इसे देखते हुए दादारी में एनटीपीसी ने कचरे से कोयला बनाने का प्रयोग किया उसके बाद बनारस में इसे स्थापित करने का निर्णय लेते हुए नगर निगम से करार किया। प्लांट निर्माण करने वाली कंपनी दो साल तक इस धनराशि में संचालन करेगी। इसके बाद वाराणसी नगर निगम को प्लांट सुपुर्द कर दिया जाएगा। करीब एक साल में प्लांट निर्माण कर लिया जाएगा।

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