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यूपी: वाराणसी में उमराव जान को समर्पित किए श्रद्धा के फूल, 26 दिसंबर 1936 को ली अंतिम सांस।

यूपी: वाराणसी में उमराव जान को समर्पित किए श्रद्धा के फूल, 26 दिसंबर 1936 को ली अंतिम सांस।


वाराणसी। संगीत-कला के शहर बनारस ने सुर-अंदाज की मल्लिका उमराव जान को उनकी 84वीं पुण्य तिथि पर रविवार को श्रद्धा के फूल अर्पित किए। फातमान स्थित मस्जिद काली गुम्बज के पास स्थित उनकी मजार पर कद्रदानों की जुटान हुई। उनकी खूबियों और उनके बनारस से रिश्ते को स्मरण किया। 

वहीं डर्बी शायर क्लब की ओर से आयोजित समारोह की अगुवाई कर रहे शकील अहमद जादूगर ने कहा कि फैजाबाद में पली-बढ़ी उमराव जान किसी परिचय की मोहताज नहीं। फैजाबाद की अमीरन ने नृत्य-गायन की बारीकियां सीखीं और लोहा मनवाया। नवाबों के महलों में अपनी प्रतिभा से नृत्य-गायन का दीवाना बनाया। समय-काल के फेर, अंतिम समय में उमराव जान ने बनारस में अपनी तनहा गुजारी। यहां ही 26 दिसंबर 1937 को उमराव जान ने अंतिम सांस ली।

वहीं दूसरी तरफ़ उनकी शोहरत और कला की ऊंचाइयों के छूने का ही परिणाम रहा कि उनके जाने के बाद ख्यात फिल्म निर्देशक मुफ्फर अली ने परदे पर उनके व्यक्तित्व को सहेजा। इस फिल्म में ख्यात फिल्म अभिनेत्री रेखा ने अपने अभिनय के रंग भरे और उमराव जान को अमर कर दिया। बरसी के मौके पर शकील अहमद ने सरकार से उमराव जान की मजार पर लाइट लगवाने की मांग की। इस दौरान अफसर अली, अमानत अली, शमीम अंसारी, मो. खालिद, दानिश हुसैन, बबलू विश्वकर्मा आदि थे।

वहीं फैजाबाद की गलियों में पली-बढ़ी उमराव के बचपन का नाम अमीरन बीबी था। लखनऊ आने के बाद उन्हें उमराव जान नाम मिला। यहां ही उन्होंने नृत्य- संगीत की शिक्षा ली। अपनी कला और अंदाज से अपने समय में महलों की शान फनकारा उमराव जान गर्दिश के दौर में बनारस आ गईं। उनका अंतिम समय यहां गोविंदपुरा मोहल्ले में बीता। 

वहीं अपने किसी जानने वाले की सलाह पर वे यहां 1928 में आई थीं। यहां गुमनामी में समय काटा और 26 दिसंबर 1937 को उनका इंतकाल हो गया। फातमान के पास काली गुंबद की मस्जिद के पास उन्हें सिपुर्द-ए-खाक किया गया। खास यह कि उनके कब्र की जानकारी लोगों को जानकारी मिली।

बता दें कि वहीं फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली ने वर्ष 1981 में उनके नाम ही सिने अभिनेत्री रेखा को लेकर फिल्म बनाई। इसमें रेखा ने उमराव जान की भूमिका इतनी गहराई से निभाई कि किरदार में उतरती नजर आईं। करीब ढाई दशक बाद निर्देशक जेपी दत्ता ने ऐश्वर्या राय को लेकर फिर से उमराव जान को पर्दे पर उतारा।