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यूपी: लखनऊ में 2600 सहकारी समितियों से जुड़े करीब तीन लाख वेतनभोगियों को बड़ी राहत।

यूपी: लखनऊ में 2600 सहकारी समितियों से जुड़े करीब तीन लाख वेतनभोगियों को बड़ी राहत।


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सहकारी समितियों से जुड़े वेतनभोगी सदस्यों को राहत देने वाली बड़ी खबर है। उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग ने ठीक दो साल बाद समितियों से दिए जाने वाले ऋण के संबंध में अहम निर्णय लिया है। सहकारी समितियों की ब्याज दर घटा दी गई है यानी कर्ज लेना अब सस्ता हो गया है। साथ ही ऋण चुकाने की अवधि भी एक साल बढ़ा दी गई है। यह भी निर्देश है कि समितियां किसी दशा में तय मानक से अधिक ब्याज नहीं ले सकेंगी।

वहीं उत्तर प्रदेश में करीब 2600 वेतनभोगी सहकारी समितियां संचालित हैं। इन समितियों से लगभग तीन लाख सदस्य जुड़े हैं। समितियों को वित्त पोषण जिला सहकारी बैंकों से किया जाता है। वेतनभोगी सदस्य अपनी जरूरत के हिसाब से समितियों से ऋण लेते हैं और अदायगी उनके वेतन से प्रतिमाह तय किस्तों के अनुरूप होती रहती है। ऐसे में ऋण स्वीकृति में समस्या नहीं आती। सहकारिता विभाग ने नवंबर 2019 में सदस्यों को ऋण देने की सीमा आठ से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी थी। विभाग ने ऋण देने की सीमा बढ़ाई लेकिन उसका भुगतान करने की समय सीमा चार साल यानी कुल 48 किस्तें ही रखा। इस वजह से सदस्य ऋण की बढ़ी सीमा का लाभ नहीं ले पा रहे थे।

वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड ने वेतनभोगी समितियों से मिले सुझावों पर विभाग को रिपोर्ट सौंपी। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने ऋण वितरण व ऋण सीमा आदि के नियमों को संशोधित कर दिया है। इसमें ऋण वसूली की समय सीमा बढ़ाने के साथ ही ब्याज की दरें कम की गई हैं। जिला सहकारी बैंकों के सचिव व मुख्य कार्यपालक अधिकारियों व सहायक आयुक्त व सहायक निबंधक को निर्देश दिया गया है कि इसका अनुपालन कराएं।


1. पहले समिति की ओर से सदस्यों से ऋण की वसूली 12 से 48 समान मासिक किस्तों में की जाएगी। सदस्य के मासिक वेतन से की जाने वाली कटौती इस तरह होगी कि किस्त वेतन के आधे से अधिक न हो। वहीं अब समिति की ओर से सदस्यों से ऋण की वसूली 12 से 60 समान मासिक किस्तों में की जाएगी। सदस्य के मासिक वेतन से की जाने वाली कटौती इस तरह होगी कि किस्त वेतन के आधे से अधिक न हो।

2. पहले जो समितियां निजी संसाधनों से सदस्यों को ऋण वितरित करती हैं, वे देय औसत ब्याज की दर से तीन प्रतिशत मार्जिन जोड़कर सदस्यों को दिए गए ऋण पर ब्याज का निर्धारण करेंगी, जो 11.75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। वहीं अब जो समितियां निजी संसाधनों से सदस्यों को ऋण वितरित करती हैं, वे देय औसत ब्याज की दर से एक प्रतिशत मार्जिन जोड़कर सदस्यों को दिए गए ऋण पर ब्याज का निर्धारण करेंगी, जो 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

3. पहले जो समितियां जिला सहकारी बैंक से ऋण लेती हैं, उन्हें बैंक से 9.80 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलेगा, ऐसी समितियां सदस्यों से 11.75 प्रतिशत अधिकतम ब्याज ले सकेंगी। वहीं अब जो समितियां जिला सहकारी बैंक से ऋण लेती हैं, उन्हें बैंक से आठ से नौ प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलेगा। सदस्य से अधिकतम 10 प्रतिशत ब्याज ले सकेंगी।