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लखनऊ: यूपी हिंदी संस्थान का स्थापना दिवस 30 को यशपाल सभागार में होगा कवि सम्मेलन।
लखनऊ। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बनी संस्था उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का 45 वां स्थापना दिवस समारोह 30 दिसंबर को मनाया जाएगा। इस दौरान होने वाले कवि सम्मेलन में कविताओं की गूंज होगी। साथ ही संगोष्ठी भी होगी। संगोष्ठी का विषय डॉ. राजेंद्र प्रसाद की भाषा एवं साहित्य दृष्टि है। हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में सुबह 11 बजे से आयोजन शुरू होगा।
वहीं हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में व्याख्यान देने के लिए भागलपुर से साहित्यकार डॉ. श्रीभगवान सिंह और पटना से शिवदयाल शामिल रहेंगे। अतिथियों का स्वागत उप्र हिंदी संस्थान के निदेशक आइएएस पवन कुमार करेंगे।
वहीं दूसरी तरफ उप्र हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे ने बताया कि स्थापना दिवस के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सरस काव्य पाठ भी होगा। कवि सम्मेलन में फर्रुखाबाद से डॉ. शिवओम अंबर, सीतापुर से कमलेश मौर्य मृदु, प्रयागराज से जय प्रकाश शर्मा जनकवि, वाराणसी से वशिष्ठ अनूप, मऊ से कमलेश राय, बलरामपुर से डॉ. प्रकाश चंद्र गिरि, गोंडा से सतीश आर्या, मैनपुरी से बलराम श्रीवास्तव, हरियाणा से दीपक गुप्ता, प्रयागराज से जय कृष्ण राय तुषार और लखनऊ से अतुल बाजपेयी अपनी रचनाओं का पाठक करेंगे।
वहीं दूसरी तरफ उप्र हिंदी संस्थान भाषा विभाग के अधीन हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत प्रमुख संस्था है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री संस्था का पदेन अध्यक्ष होता है। वही कार्यकारी अध्यक्ष और निदेशक की नियुक्ति भी करता है। अन्य कार्यक्रमों के अलावा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न क्षेत्रों में योगेदान करने वाले साहित्यकारों को संस्था की ओर से पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं। 30 दिसंबर 1976 को उप्र हिंदी संस्थान की स्थापना हुई थी, जिसमें तत्कालीन हिंदी समिति, उप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी एवं शासन की कतिपय अन्य योजनाओं का एकीकरण किया गया था।