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यूपी: गांव के मरीजों का बनेगा डिजिटल हेल्थ कार्ड, देश के तीन शहरों के लिए वाराणसी से 31 को लांच होगा पायलट प्रोजेक्ट।

यूपी: गांव के मरीजों का बनेगा डिजिटल हेल्थ कार्ड, देश के तीन शहरों के लिए वाराणसी से 31 को लांच होगा पायलट प्रोजेक्ट।

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विजन है ‘सबका स्वास्थ्य, सबका विकास’। इसी के साथ उन्होंने ‘स्वस्थ भारत’ की दिशा में एक प्रमुख कार्यक्रम की शुरुआत भी की है। वहीं भारत की लगभग 65 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है जिसे डॉक्टरों की सेवा की बहुत आवश्यकता है और जो बड़े पैमाने पर महानगरों से बाहर हैं। ग्रामीण आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत जरूरत है। ग्रामीण भारत तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है। 

वहीं कोविड -19 के दौरान यह समस्या और बढ़ गई है। खासकर उन लोगों के लिए तो स्थति और भी विषम हो गई है जो पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए ,विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्तशासी संगठन और भारत के प्रौद्योगिकी थिंक टैंक प्रौद्योगिकी सूचना ,पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद टाइफैक ने एक मापनीय पायलेट निदर्शन टेली मेडिसन परियोजना प्लग एण्ड प्ले मॉडल की अवधारणा प्रस्तुत की है। 

वहीं दूसरी ओर सुंदर क्षेत्रों में रहने वाली वंचित महिलाओं और बच्चों को रियायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इस परियोजना का उद्देश्य, इन क्षेत्रों के निवासियों तक बेहतर चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक टेली डाइग्नोस्टिक प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के प्रभाव को दर्शाना है। 

वहीं इस प्रौद्योगिकीय आउटरीच प्रणाली के माध्यम से, ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो पायेंगी जो अब तक इन्हें प्राप्त करने से वंचित रहे थे। यूं तो हमारे देश में टेली कन्सल्टन्सी की अनेक गतिविधियां चल रही हैं लेकिन यह टेली डायग्नोसिस के लिए प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और ई हेल्थ रिकार्ड को बनाने के प्रथम प्रयासों में से एक है। 

वहीं इस परियोजना को आईआईटी मद्रास के साथ साझेदारी में और सी डैक मोहाली के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है। परियोजना की मुख्य गतिविधियों में, रोगी महिलाओं, बच्चों की धारण योग्य उपकरणों से जांच, ई -संजीवनी क्लाउड के माध्यम से स्वास्थ्य डाटा का विश्लेषण और ईएचआर के विकास के लिए डाटा को डॉक्टरों के पूल तक भेजना शामिल है। 

वहीं दूसरी तरफ़ गोरखपुर, वाराणसी और मणिपुर के कामजोंग के लगभग साठ हजार रोगियों को कवर किया जाएगा। इसमें आउटरीच भागीदार के रूप में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्व विद्यालय, गोरखपुर, बी एच यू वाराणसी एवं एनआईटी, मणिपुर शामिल हैं। इलेक्ट्रो कार्डियोग्राफिक जांच हृदय रोग परीक्षण, हृदय दर का मापन, रक्त दाब का मापन, रक्त ऑक्सीजेनेशन का मापन, लिपिड प्रोफाइल, हीमोग्लोबिन और माता एवं शिशु की देखभाल फैटल ड्रॉपलर आदि। संग्रहीत डाटा के मूल्यांकन और उचित सलाह देने हेतु प्रसिद्ध डॉक्टरों का एक पैनल भी बनाया गया है। 

वहीं इस टेली हेल्थ कार्यक्रम में वाराणसी जिले के लिए बीएचयू आउटरीच अकादमिक भागीदार है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 31 दिसंबर रवींद्र जायसवाल, राज्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, डा. नीलकांत तिवारी, पर्यटन,संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के मंत्री एवं सौरभ श्रीवास्तव, विधायक ,वाराणसी कैंट की गरिमामयी उपस्थिति में इस परियोजना का उदघाटन किया जाना है। इस अवसर पर भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों में प्रोफे. प्रदीप श्रीवास्तव ,कार्यकारी निदेशक, टाइफैक भी उपस्थित रहेंगे।