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हिमाचल प्रदेश: पीएम मोदी को मंडी में भेंट किया गया सात फीट का त्रिशूल।

हिमाचल प्रदेश: पीएम मोदी को मंडी में भेंट किया गया सात फीट का त्रिशूल।


हिमाचल प्रदेश। शिवभूमि मंडी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान शिव के त्रिशूल, पशमीना शाल, टोपी और चंबा थाल देकर सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री का हिमाचल प्रेम किसी से छिपा नहीं है तथा भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था का पता इससे चलता है कि गत दिनों उन्होंने मंडी के बाबा भूतनाथ के दर्शन वर्चुअल किए थे। ऐसे में सरकार के चार साल के कार्यक्रम पूरा होने पर पड्डल में आयोजित कार्यक्रम में उनको भगवान शिव का 25 किलो का सात फीट लंबा त्रिशूल भेंट किया गया।

वहीं इस त्रिशूल का निर्माण मंडी में ही करवाया गया था और इसे भेंट करने का सुझाव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिया था। सात फीट लंबे इस त्रिशूल को पीतल से तैयार किया गया है और इसमें रुद्राक्ष की माला और डमरू भी साथ में है। कारीगरों को इसे बनाने में 20 दिन लगे थे। इसको बनाने के दौरान धार्मिक मान्यताओं का पूरा ध्यान रखा गया है। 

वहीं दूसरी तरफ़ मंच पर जब इसे भेंट किया गया तो इसे उठाकर लाने वाले नेताओं त्रिलोक जम्‍वाल और त्रिलोक कपूर के नाम भी भगवान शिव के नाम से ही जुड़े हैं। मंच पर प्रधानमंत्री ने उसे गौर से दिखा और उसके बाद हाथ में पकड़ा। जैसे ही प्रधानमंत्री ने त्रिशूल हाथ में पकड़ा, पूरा पंडाल भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा।

वहीं पशमीना शाल मुख्यत कश्मीर में तैयार की जाती है। प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी को मंडी की रैली में यही भेंट की गई। इसके साथ एक पहाड़ी टोपी मुख्यमंत्री ने पहनाई। पशमीना शाल की खासियत यह है कि यह लंबे समय तक इस्तेमाल की जा सकती है। इसे हाथों से बारीक कारीगिरी पारंपरिक तरीके व सजावट से बनाया जाता है। इसकी कीमत 50 हजार से तीन लाख रुपये तक रहती है। प्रधानमंत्री को जब इससे सम्मानित किया गया तो उन्होंने इसे ओढ़कर रखा।

वहीं दूसरी तरफ़ सेपू बढ़ी मंडयाली धाम का एक विशेष व्यंजन है। प्रधानमंत्री जब हिमाचल प्रभारी थे तो तब से वह इसे पसंद करते हैं। इसे माह की दाल से देसी घी में तैयार किया जाता है। इसे बनाने की विधि भी अलग होती है। प्रधानमंत्री के लिए बनाए गए खाने में भी इस बार सेपू बढ़ी शामिल थी।

बता दें कि वहीं पीतल पर हाथों से कलाकृतियां उकेर कर तैयार किए जाने वाला चंबा थाल अपने आप में खास है। इस थाल पर पहले हिंदू देवी देवताओं की कलाकृतियां उकेरी जाती थीं। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया, इसमें देवी देवताओं के अलावा गद्दी समुदाय सहित हिमाचली संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी जाने लगीं। वर्तमान में चंबा थाल पर ग्राहकों की इच्छानुसार कलाकृतियां उकेरी जाती हैं। यह तीन आकार व वजन में उपलब्ध है। 

वहीं इसका सबसे छोटा आकार 11 इंच तथा वजन चार सौ ग्राम तक होता है। मध्यम थाल 15 इंच तथा करीब आठ सौ ग्राम का होता है। जबकि, सबसे बड़ा थाल 23 इंच व पौने दो किलो तक का होता है। छोटे थाल की कीमत करीब 1400, मध्यम आकार की कीमत दो हजार तथा बड़े थाल की कीमत करीब तीन हजार रुपये तक होती है।