
JAMMU KASHMIR NEWS
जम्मू कश्मीर: श्रीनगर में पाक आतंकियो का आया नया चेहरा सामने, इस्लामिक शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहे आतंकी संगठन।
जम्मू कश्मीर। श्रीनगर में दक्षिण कश्मीर के बिजबिहाड़ा के अरवनी में बीते सोमवार को सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी एक नए आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) ने ली है। पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों की जमात में यह छठा नया संगठन है। अन्य पांच संगठनों की तरह इसके नाम में भी इस्लाम का असर नजर नहीं आता, जो इस बात को साबित करता है।
वहीं आतंकी संगठन और उनका संरक्षक पाकिस्तान खुद को इस्लामिक जिहाद से पूरी तरह अलग दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। आतंकी संगठन अब खुद को पूरी तरह से स्थानीय बताने लगे हैं, ताकि दुनिया को यह बताया जा सकें कि कश्मीर में वह जो खून खराबा कर रहे हैं, वह एक आतंकी हिंसा न होकर कश्मीरियों की भारत के खिलाफ जंग है। दरअसल, ये संगठन पुराने संगठनों का ही नया मुखौटा हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी), युनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (यूएलएफ) और कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) नामक पांच संगठन पांच अगस्त 2019 के बाद ही सामने आए हैं। यह नए आतंकी संगठन सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। इनमें से किसी का नाम भी कश्मीर में पहले से सक्रिय आतंकी संगठनों की तरह इस्लामिक जिहाद और पूरी तरह से गैर मुस्लिमों के खिलाफ जंग का एलान करने वाले संगठन का संकेत नहीं देता है।
वहीं कश्मीर घाटी में बीते 30 सालों के दौरान हिजबुल मुजाहिदीन, तहरीकुल मुजाहिदीन, हरकत उल अंसार, हरकत उल जिहादे इस्लामी, अंसार उल इस्लाम, मुस्लिम जांबाज फोर्स, हिजबुल मुजाहिदीन पीरपंचाल रेंज, हिजबुल्ला, अल्लाह टाइगर्स, पासबान-ए-इस्लाम, अल मंसूरियन, अल नासरीन, लश्कर-ए-तैयबा, सेव कश्मीर मूवमेंट, जैश-ए-मोहम्मद, जेकेएलएफ, अल फतह, अल बदर, अल बरक, इस्लामिक स्टेट आफ जम्मू कश्मीर , इख्वानुल मुसलमीन, अल उमर, आपरेशन बालाकोट, जमायतुल मुजाहिदीन, मुस्लिम मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टेट वलाया हिंद, मुजाहिदीन गजवातुल हिंद, अंसार गजवातुल हिंद समेत 70 के करीब आतंकी संगठन सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश का नाम भी अब किसी को याद नहीं है।
बता दें कि वहीं रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और जम्मू कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक अशकूर वानी ने बताया कि पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकी हिंसा को हवा देने के लिए कश्मीरियों को इस्लाम के नाम पर जोडऩे का प्रयास किया। मुस्लिम राष्ट्रों में समर्थन और पैसा मिले, इसलिए संगठनों को इस्लामिक नाम दिया गया। इसके अलावा आतंकियों की फौज को इस्लाम के नाम पर ही कश्मीर में खून खराबे के लिए भेजा गया और कश्मीर में अलगाववाद व आतंकवाद के एजेंडे को इस्लाम के नाम पर उसने आगे बढ़ाया है।
वहीं इसके अलावा जिस समय कश्मीर में आतंकी हिंसा शुरू हुई, उस समय अफगानिस्तान में इस्लाम के नाम पर ही दुनियाभर के जिहादी लडऩे आए थे। पाकिस्तान एक बार नहीं कई बार आजादी की जंग के नाम पर कश्मीर में आतंकवाद के समर्थन का एलान कर चुका है, लेकिन वह आतंकियों की ट्रेनिंग, हथियार और पैसे में अपनी भूमिका का नकारता है।
वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने कहा कि कश्मीर में अपनी नापाक हरकतों के कारण पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग पड़ चुका है। पूरे विश्व में उसकी साख गिर चुकी है। उसे आतंकवाद का संरक्षक माना जा रहा है। वित्तीय कार्रवाई कार्यदल एफएटीएफ ने भी पाकिस्तान को अपने ग्रे सूची में डाल रखा है। इससे पाकिस्तान बाहर आना चाहता है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था लगातार चरमरा रही है। इसके साथ ही वह कश्मीर में आतंकी हिंसा को जिंदा रखना चाहता है।
वहीं पाकिस्तान की सेना और सरकार पर स्थानीय स्तर पर दबाव है कि वह कश्मीर में कुछ करके दिखाए, क्योंकि उसने कश्मीर में जिहाद के नाम पर जो जिन्न बाहर निकाला था, वह अब उसके लिए ही काल बना घूम रहा है। इसके अलावा लश्कर, जैश, हिजबुल जैसे आतंकी संगठन और उनके सरगना भी कानूनी शिकंजों से बचना चाहते हैं। उन्हें सिर्फ भारत ने ही नहीं अमेरिका ने भी मोस्ट वांटेड आतंकी करार दे रखा है।
वहीं ऐसी हालात में वह अपने संगठनों को लो प्रोफाइल रखते हुए नए संगठनों के जरिए आतंकी हिंसा को जारी रखने की साजिश कर रहे हैं। इसमें उन्हें पाकिस्तान का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। अशकूर वानी के मुताबिक, आप यह भी कह सकते हैं कि पाकिस्तान पुराने आतंकी संगठनों को एक नया चेहरा बनाकर पेश कर रहा है।
बता दें कि वहीं कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि इस समय पाकिस्तान खुद को पूरी तरह से कश्मीर के आतंकवाद से अलग थलग रखने के लिए छटपटा रहा है। इसलिए वह आतंकी संगठनों को नया नाम दे रहा है। इसके अलावा हमें एक बात यह भी ध्यान में रखनी चाहिए कि युवा आतंकियों में लश्कर, जैश और हिजबुल के नेतृत्व के प्रति नाराजगी भी पायी जाती है और वह इनकी नहीं सुनते।
वहीं दूसरी तरफ़ यह संगठन भी आइएसआइ के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर छोटे छोटे नए आतंकी संगठन तैयार करा रहे हैं। इन संगठनों में दो चार नए लड़कों के साथ लश्कर, जैश और इन जैसे किसी पुराने आतंकी संगठन का कैडर भी रहता है। इस तरह से पाकिस्तान दुनिया को बता सकता है कि कश्मीर में जो आतंकी सक्रिय हैं, वह उसकी जमीन पर तैयार नहीं हुए हैं। आतंकी संगठन भी कह सकते हैं कि वह इस्लाम के नाम पर नहीं कश्मीर की आजादी के नाम पर लड़ रहे हैं।
बता दें कि वहीं पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का मकसद सिर्फ कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा को इस्लामिक आतंकवाद के दायरे से किसी तरह से दूर रखना है और यह बताना है कि कश्मीर में आतंकी हिंसा नहीं बल्कि कश्मीरियों की भारत के खिलाफ आजादी की जंग है। टीआरएफ, पीएएएफ या इन जैसे जो नए संगठन सामने आए हैं, वह सिर्फ नाम के लिहाज से नए हैं। ये जैश, लश्कर और हिजबुल ही नए लबादों में है। आतंकी संगठनों के नाम से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जो यहां हिंसा फैलाएगा, देश की एकता और अखंडता के खिलाफ काम करेगा, मारा जाएगा।