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झारखंड: गढ़वा जिले की कधवन पंचायत में पीने के पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण।
झारखंड। गढ़वा जिले के श्रीबंशीधर नगर प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर पूरब श्रीबंशीधर नगर-विशुनपुरा मुख्य पथ पर कधवन पंचायत है। पंचायती राज के पांच साल के दौरान पंचायत के सभी गांवों में कुछ ना कुछ विकास का कार्य हुआ है, लेकिन जिस तरह से गांव टोले का विकास होना चाहिए, वह नहीं हो सका है। शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पंचायत में लगाए गए अधिकतर चापाकल और जल मीनार बंद पड़े हैं। स्त्रोनत उच्च विद्यालय कधवन के प्रांगण में लगा जल मीनार प्रारंभ से ही बंद पड़ा है। इसी तरह पाल टोला में भी जलमीनार लगने के बाद से ही बंद है।
वहीं पंचायत की सड़कें जर्जर हैं। शुद्ध पेयजल के अभाव में आज भी लोग कुएं का प्रदूषित पानी पीने को विवश हैं। पंचायत को मई 2018 में ही ओडीएफ घोषित कर खुले में शौच मुक्त गांव का बोर्ड लगा दिया गया। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पंचायत में वर्तमान में भी 80 प्रतिशत शौचालय का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। रोजी-रोटी की तलाश में बेरोजगारों का पलायन जारी है। जरूरतमंदों को प्रधानमंत्री आवास व पशु शेड का लाभ नहीं मिल सका है।
वहीं दूसरी तरफ़ सुखी संपन्न व जिनके पास एक भी मवेशी नहीं है, उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास व पशु शेड का लाभ उपलब्ध कराया गया है। रोशनी के लिए लगाए गए स्ट्रीट लाइट व सोलर लाइट करीब-करीब बंद पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर पंचायत का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। पंचायत की कई समस्याएं आज भी यथावत हैं। पंचायती राज का लाभ पंचायत वासियों को नहीं मिल सका है।
बता दें कि कधवन पंचायत की मुखिया सत्यावती देवी कहती हैं कि पांच वर्षों के दौरान पंचायत के विकास मद में जो भी राशि सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई गई, उससे पंचायत का सर्वांगीण विकास करने का प्रयास किया गया है। पंचायत में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 16 चापाकल, आठ जल मीनार का अधिष्ठापन कराया गया है।
वहीं 12 पीसीसी पथ, 750 प्रधानमंत्री आवास, सात नाली, 560 शौचालय, 190 पशु शेड, 30 डोभा, 10 तालाब, 8 सिचाई कूप, तीन चबूतरा, 80 पीसीबी, 17 मिट्टी मोरम सड़क की मरम्मती, 12 मिट्टी मोरम पथ का निर्माण कराया गया है। वहीं 25 लोगों के भूमि का समतलीकरण तथा 20 लोगों की भूमि का मेड़बंदी कराया गया है। एक पेवर ब्लॉक सड़क का निर्माण हुआ है। वहीं 15 स्ट्रीट लाइट व 10 सोलर युक्त लाइट लगाया गया है।
बता दें कि वहीं पिछले चुनाव में दूसरे नंबर रहीं नजबुन बीबी कहती हैं कि पंचायती राज्य के पांच वर्षों तक विकास के नाम पर जो भी राशि पंचायत को प्राप्त हुई, उससे विकास के नाम पर महज कागजी खानापूर्ति की गई। विकास कार्यों पर बिचौलिए हावी थे। हालांकि कई विकास का कार्य हुआ है। कुछ जल मीनार निर्माण काल से ही बंद पड़ा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ़ मिट्टी मोरम सड़क का मरम्मती व नव निर्माण हुआ है। कुछ चापानल भी लगाया गया है। पर अनुपयोगी योजनाओं के चयन से पंचायती राज्य में पंचायत का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। जरूरतमंदों को प्रधानमंत्री आवास व पशु शेड का लाभ नहीं मिल सका है। लोग आवास व पशु शेड के लिए दौड़ लगाते रह गए। पर उन्हें नहीं मिल सका।