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पीएम मोदी का आज गोरखपुर के दौरा, पीएम बनने से पहले किए वादे को करेंगे पूरा, राष्ट्र को सौपेंगे फर्टिलाइजर फैक्ट्री

पीएम मोदी का आज गोरखपुर के दौरा, पीएम बनने से पहले किए वादे को करेंगे पूरा, राष्ट्र को सौपेंगे फर्टिलाइजर फैक्ट्री


गोरखपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) मंगलवार को गोरखपुर (Gorakhpur) का दौरा करेंगे और 9600 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. पीएम मोदी जिन परियोजनाओं को राष्ट्र के नाम समर्पित करेंगे उनमें गोरखपुर फर्टिलाइजर फैक्ट्री (Gorakhpur Fertilizer Factory) भी शामिल है, जिसकी आधारशिला उन्होंने खुद जुलाई 2016 में रखी थी. प्रधानमंत्री बनने से पहले जनवरी 2014 में पीएम मोदी ने गोरखपुर फर्टिलाइजर फैक्ट्री को फिर से खोलने का वादा किया था. कल वो फिर से खुलने जा रहा है और पीएम का एक और वादा पूरा हो रहा है.

पिछले 30 सालों से बंद पड़े इस कारखाने को 8600 करोड़ रुपए की लागत से पुनर्जीवित किया गया है. उर्वरक निगम लिमिटेड (एफसीआईएल) की गोरखपुर यूनिट की स्थापना 1969 में नेफ्था के साथ फीडस्टॉक के रूप में यूरिया उत्पादन के लिए की गई थी. परिचालन की तकनीकी और वित्तीय गैर-व्यवहार्यता, विशेष रूप से नेफ्था की उच्च लागत से उपजे एफसीआईएल के लगातार नुकसान के कारण जून 1990 में प्लांट को बंद कर दिया गया था.


प्लांट के रिवाइवल की मांग दो दशक से अधिक पुरानी थी. पूर्वांचल क्षेत्र के प्रति पिछली सरकारों की उदासीनता ने लोकप्रिय मांग की उपेक्षा की और फर्टिलाइजर प्लांट के रिवाइवल के लिए कोई पहल नहीं की. लोकसभा चुनाव 2014 से पहले गोरखपुर में एक रैली में नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर के फर्टिलाइजर प्लांट को बंद करने का मुद्दा उठाया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने बंद फर्टिलाइजर प्लांट के रिवाइवल की दिशा में काम किया और 2016 में गोरखपुर प्लांट के रिवाइवल की आधारशिला रखी.

ये प्लांट यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र के किसानों और पड़ोसी राज्यों को यूरिया की आपूर्ति करेगा. साथ ही ये क्षेत्र के कुशल और अकुशल जनशक्ति दोनों के लिए प्रत्यक्ष और साथ ही अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में मदद करेगा. प्लांट लघु और मध्यम उद्योगों के विकास को सुविधाजनक बनाने में भी मदद करेगा. ये घरेलू उर्वरक को बाजार में मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने में भी भूमिका निभाएगा.

वर्तमान में 350 लाख टन यूरिया की वार्षिक मांग के मुकाबले यूरिया का घरेलू उत्पादन करीब 250 लाख टन है. हम लगभग 100 लाख टन यूरिया आयात करने के लिए मजबूर हैं, जो हमें कीमती विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने के लिए भी मजबूर करता है. ये प्लांट न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने में मदद करेगा बल्कि यूरिया क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में भी मदद करेगा.


इस सरकार ने गोरखपुर, बिहार में बरौनी, झारखंड में सिंदरी, तेलंगाना में रामागुंडम और ओडिशा में तालचेर नाम के 5 उर्वरक प्लांट्स को रिवाइवल किया है. इन 5 प्लांट्स में देश के कुल यूरिया उत्पादन को प्रति वर्ष 60 लाख टन से अधिक बढ़ाने की क्षमता है. इनके अलावा सरकार ने भारत में एक लचीला उर्वरक क्षेत्र की नींव को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं.