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यूपी: गाज़ीपुर में रसूलन बीबी की मांग पर सीडीएस बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को लिखी थी चिट्ठी।

यूपी: गाज़ीपुर में रसूलन बीबी की मांग पर सीडीएस बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को लिखी थी चिट्ठी।


गाजीपुर। देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत की यादें धामपुर के लोगों से ताउम्र जुड़ी रहेंगी। वर्ष 2017 में थल सेनाध्यक्ष रहे बिपिन रावत परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद की विधवा रसूलनबीबी के आमंत्रण पर सपत्नीक धामूपुर पहुंचे थे तो उनका पैर छूते हुए आशीर्वाद लिया था। 

वहीं रसूलन बीबी ने जिले में सैनिक स्कूल बनाने के बारे में उनसे आग्रह किया तो उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर स्वीकृति देने की मांग की, जिसकी प्रकिया अभी चल रही है। परमवीर चक्र विजेती की विधवा जब उन्हें निमंत्रण देने पहुंची तो उनका कहना था कि कक्षा छह की किताब में अब्दुल हमीद का पाठ, जिसे हम लोग कभी पढ़ा करते थे।

वहीं आज उनके यहां आमंत्रण में जाना हम कैसे ठुकरा सकते हैं। ऐसा कह कर उन्होंने आमंत्रण स्वीकार किया और आने का अपना कार्यक्रम बनाया। वहीं जनपद में पहली बार वर्ष 2017 में थल सेनाध्यक्ष का आगमन उनकी पत्नी मधुलिका रावत के साथ हुआ था। शहीद परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के गांव धामपुर में शहीद की पत्नी रसूलन बीबी के आमंत्रण पर जब बिपिन रावत धामुपुर पहुंचे थे, तो लोगों में काफी खुशी देखने को मिली थी। 

बता दें कि वहीं अचानक ऐसे व्यक्ति का दुनिया से चले जाना, उस क्षण को याद करके लोग काफी भावुक हो जा रहे हैं। शहीद वीर अब्दुल हमीद के पोते जमील आलम ने बताया कि जब वह अपनी दादी रसूलन बीबी के साथ आमंत्रण देने जनरल विपिन रावत के यहां दिल्ली पहुंचे तो उस समय वह अमेरिका में थे। रसूलन बीबी के आने का मैसेज पढ़कर उन्होंने दूसरे दिन बुलाने का आदेश अपने अधीनस्थों को दिया। 

वहीं उसी दिन रात में दिल्ली पहुंच कर उन्होंने दूसरे दिन रसूलन बीबी को अपने आफिस में बुलाकर आमंत्रण स्वीकार किया। जमील ने बताया कि जनरल बिपिन साहब सेना की इतनी कद्र करते थे कि चाहे कोई अमीर या गरीब जो भी उनके पास जाता था, उनकी सुनवाई जरूर करते थे। उन्होंने धामपुर आने का आग्रह स्वीकार किया, लेकिन आने के 24 घंटे पहले उनकी पत्नी मधुलिका रावत ने भी साथ चलने की बात कहीं।

बता दें कि शहादत दिवस पर वर्ष 2017 में जिले पहुंचे जनरल बिपिन रावत ने सेना भर्ती को हरी झंडी दी और एक साल बाद उसे रेगुलर भी करने का आश्वासन दिया था। रसूलन बीबी ने उनसे वीर अब्दुल हमीद रेजिमेंट बनाने के लिए भी मांग की थी। इस पर उन्होंने विचार करने के लिए कहा। उनकी कुछ ऐसी ही यादें जनपद से जुड़ी हैं जो ताउम्र धामूपुर वासियों के जेहन में बनी रहेंगी। आठ दिसंबर का वह मनहूस दिन जो ऐसे शख्सियत का दुनिया से रुखसत होने के लिए काफी गम के साथ याद किया जाएगा।