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यूपी: वाराणसी बीएचयू स्थित एसबीआइ की मुख्य शाखा में क्लियरेंस के लिए डाला गया चेक जालसाज ने फर्जी रसीद के सहारे निकाला कैश।
वाराणसी। बीएचयू स्थित एसबीआइ की मुख्य शाखा में क्लियरेंस के लिए डाला गया चेक जालसाज ने फर्जी रसीद के सहारे दस मिनट बाद ही निकलवा लिया और अगले दिन जौनपुर जाकर मातृशाखा से एक लाख रुपये निकाल लिए। बीएचयू कर्मचारी को जब अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी का पता चला तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। सोमवार को उसने शाखा प्रबंधक समेत बैंक के उच्चाधिकारियों को लिखित रूप से अपने साथ हुई घटना से अवगत कराते हुए लंका थाने में तहरीर दी। पुलिस तहरीर मिलते ही जांच में जुट गई।
वहीं विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान के भू-भाैतिकी विभाग में प्रयोगशाला परिचारक के पद पर कार्यरत जयदीप सिंह की पत्नी जौनपुर में कोषागार विभाग में कार्यरत हैं। बीते 10 नवंबर को उनकी पत्नी ने एक लाख रुपये का यूबीआइ का चेक अपने पति के नाम से भेजा। जयदीप ने चेक को अपने एसबीआइ खाते में स्थानांतरित करने के लिए बीएचयू स्थित एसबीआइ की मुख्य शाखा में क्लियरेंस बाक्स में रसीद भरकर डाल दिया।
वहीं इसी बीच उनके पीछे एक व्यक्ति था जो जयदीप पर नजर जमाए था। 10 मिनट बाद ही वह जयदीप के द्वारा भरी गई सूचनाओं को लिखकर एक अन्य रसीद काउंटर पर देकर कुछ देर पहले जमा चेक को वापस मांग लिया। अगले दिन जौनपुर यूबीआइ शाखा पहुंचकर एक लाख रुपये निकाल लिए। इधर जब जयदीप एक दिसंबर को उन जमा रुपयों को फिक्स्ड डिपाजिट के लिए एक अन्य चेक भरकर बीएचयू के कर्मचारी वेतनभोगी सहकारी समिति में जमा किया तो सोमवार को उन्हें सहकारिता बैंक से फोन द्वारा सूचना मिली कि उनका चेक अनादृत हो गया है। जब स्टेट बैंक पहुंचकर पता किया ताे मालूम हुआ कि उसके खाते में रुपये ही नहीं हैं। जांच पड़ताल शुरू हुई तो सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से पूरी घटना का पता चला।
बता दें कि बैंक कर्मचारी द्वारा बिना किसी जांच पड़ताल के या आइडी का मिलान किए चेक वापस कर दिया जाना भी लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा। शाखा प्रबंधक रूपा वर्मा ने बताया कि बैंक नियमावली में चेक वापसी के लिए पहचान पत्र मांगे जाने का प्राविधान नहीं है। केवल जमा पर्ची की फाड़कर रखी गई पावती छोटे हिस्से का मिलान कर कर्मी चेक वापस कर देते हैं। हालांकि उन्होंने इस घटना से अपने उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। आगे से अब पूरी जांच-पड़ताल की जाएगी।
वहीं इस घटना में शामिल अपराधी प्रोफेशनल है। उसने कुछ ही देर में जयदीप द्वारा भरे गए चेक की संख्या, राशि और खाता संख्या को याद कर लिया या लिख लिया और बाद में छोटी पर्ची पर लिखकर चेक का वापस मांग लिया। इससे मालूम होता है कि वह बैंक नियमों का जानकार है। उसके दुस्साहस से यह पता चलता है कि उसने पहले भी इस तरह का काम किया होगा।
वहीं दूसरी तरफ़ मामले की जांच कर रहे लंका थाने के एसआइ वसीम खान ने कहा कि हर एंगिल से मामले की जांच की जा रही है। चूंकि सीसीटीवी फुटेज में अपराधी का चेहरा साफ नहीं दिख रहा है। इसलिए उसकी कद काठी और मोबाइल के सहारे उस तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।