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यूपी: वाराणसी सरैया में प्राथमिक विद्यालय की जर्जर भवन की दीवारें के आसपास खेलते नजर आए बच्चे।

यूपी: वाराणसी सरैया में प्राथमिक विद्यालय की जर्जर भवन की दीवारें के आसपास खेलते नजर आए बच्चे।

                               𝐒𝐡𝐮𝐛𝐡𝐚𝐦 𝐊𝐮𝐦𝐚𝐫 𝐆𝐮𝐩𝐭𝐚 

वाराणसी। आपरेशन कायाकल्प के तहत चार वर्षों में परिषदीय विद्यालयों का परिवेश काफी बदला है। वहीं यह भी सच है कि शासन-प्रशासन के बार-बार निर्देश के बाद भी तमाम परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवन का अस्तित्व बरकरार है। यह बात अलग है कि अब जर्जर भवनों में पढ़ाई नहीं हो रही है लेकिन इनके इर्द-गिर्द खेलते बच्चे दिख जाएंगे। 

वहीं कई विद्यालयों में तो जर्जर भवन को मध्याह्न भोजन कक्ष में रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसे में गाजीपुर की तरह बनारस में भी हादसा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अभिभावकों के मन में यह सवाल उठता है कि बेसिक शिक्षा विभाग जर्जर भवन को ध्वस्त करने के लिए क्या किसी हादसे का इंतजार कर रहा है।

वहीं दुर्भाग्य की बात यह है कि गाजीपुर की घटना के बाद भी विभाग सबक नहीं ले रहा है। बुधवार को प्राथमिक विद्यालय (सरैया) में जर्जर भवन के आसपास बच्चे खेलते नजर आए। इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं दिख रहा था, जबकि इस जर्जर भवन के संबंध में शिवपुर निवासी अनिल कुमार मौर्य राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र भी लिख चुके हैं। इसके बाद भी विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। इस विद्यालय में पांच कमरे ठीक-ठाक हैं, जिनमें से एक कक्ष में आंगनबाड़ी चलता है। 

वहीं दूसरी तरफ़ चार कमरों में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। जगह की कमी के चलते कक्षा चार व पांच की कक्षाएं संयुक्त रूप से संचालित होती है। यहां 283 बच्चे पंजीकृत है। हेडमास्टर, शिक्षा मित्र सहित चार शिक्षक तैनात हैं। छात्र संख्या के मानक के अनुसार आठ शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। यह तो एक बानगी है जनपद में ऐसे कई विद्यालय भवन जर्जर रूप में अस्तित्व में हैं।

बता दें कि वहीं शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने दो वर्ष पहले 249 भवनों का सर्वे कराया था। इसमें 229 भवन जर्जर व मरम्मत योग्य चिह्नित किए गए थे। 148 भवनों को ध्वस्त करने की लागत पांच लाख से कम आंकी गई थी। इन भवनों को बगैर टेंडर के ध्वस्त करा दिया गया। आठ भवनों की हल्की मरम्मत कराई गई। तीन भवनों की मरम्मत व्यापक स्तर पर हुई। 
वहीं 20 भवनों की स्थिति ठीक होने के कारण ध्वस्त कराने का प्रस्ताव वापस ले लिया गया। 70 जर्जर भवन अब भी अस्तित्व में हैं। इन भवनों को ध्वस्त करने के लिए पांच लाख से अधिक लागत का आकलन किया गया है। इसे देखते हुए टेंडर करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण में टेंडर का पेच फंसा हुआ है।

वहीं जितेंद्र तिवारी, प्रभारी हेडमास्टर ने बताया कि विद्यालय परिसर में जर्जर भवन को ध्वस्त कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया था। विभाग ने नगर निगम से ध्वस्त करने के लिए पत्र लिखा है। नगर निगम के अधिकारी मौका- मुआयना भी कर चुके हैं। ऐसे में जर्जर भवन जल्द ध्वस्त होने की उम्मीद है।