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यूपी: लखनऊ बरेली कोतवाली क्षेत्र में दो मंजिला मकान लगी आग में फंसे दिव्यांग महिला व मानसिक मंदित बेटा।

यूपी: लखनऊ बरेली कोतवाली क्षेत्र में दो मंजिला मकान लगी आग में फंसे दिव्यांग महिला व मानसिक मंदित बेटा।


लखनऊ। बरेली कोतवाली क्षेत्र में आग की घटनाएं थम नहीं रही हैं। दीपावली के दिन आग में व्यापारी की पत्नी के जिदा जलने के बाद बुधवार को भी ऐसा ही हादसा होते-होते टल गया। क्राकरी व्यापारी के दो मंजिला मकान में दोपहर के वक्त अचानक से आग लग गई। देखते ही देखते आग ने उग्र रूप से लिया और ऊपर तल तक पहुंच गई। 

वहीं ठीक बगल कमरे में आग की लपटें देख खिड़की से महिला मदद के लिए चिल्लाई। दिव्यांग होने के चलते महिला चलने-फिरने में अक्षम थी, वहीं मानसिक मंदित बेटा भी फंसा था। चीख पुकार सुनकर लोगों ने दरवाजा तोड़कर महिला व उसके बेटे को बाहर निकाला। दोनों की जैसे-तैसे जान बची। आग से करीब छह लाख रुपये के नुकसान की बात सामने आई है।

वहीं दूसरी तरफ़ कोतवाली के बासमंडी में गली गट्टूमल के पीछे भगवन सरन क्राकरी वाले हैं। मकान के प्रथम तल पर ही क्राकरी का काम है। शेष में परिवार रहता है। पड़ोसी विजय अग्रवाल ने बताया कि क्राकरी कारोबारी रामाशरण अग्रवाल की मौत के बाद से उनकी पत्नी राधिका अग्रवाल काम देखती हैं। उनका एक बेटा अजय अग्रवाल है जो मानसिक मंदित है। कुछ दिनों पहले एक दुर्घटना में राधिक के कूल्हे में चोट आ गई जिससे वह वाकर के सहारे ही चल पाती हैं। 

वहीं बुधवार दोपहर को राधिका ने घर की सफाई कराई थी। घर की मुंडेर पर कुछ कपड़े फैले हुए थे। यही से घर की वायरिग में निकल रही है। आशंका है कि इसी दौरान शार्ट सर्किट से कपड़ों में आग लग गई। नीचे गत्ते रखे थे लिहाजा, देखते ही देखते आग ने उग्र रूप ले लिया। प्रथम तल से होते हुए आग ऊपर मंजिल तक पहुंच गई। प्रथम तल में ही गोदाम बना है। लिहाजा, गोदाम से ऊपर तक घर का पश्चिम छोर पूरा आग की चपेट में आ गया। ठीक बगल में राधिका बेटे अजय के साथ कमरे में थी। 

बता दें कि वहीं कमरे में धुआं घुसता देख उन्होंने मदद के लिए खिड़की से आवाज लगाई। इसी के बाद मदद के लिए लोग दौड़े। कमरे खटखटाया तो अंदर से कुंडी बंद थी। दरवाजा तोड़कर दोनों को बाहर निकाला गया। मदद में जुटे लोगों के मुताबिक, यदि थोड़ी देर और हो जाती तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। आग से क्राकरी के सामान के साथ क्राकरी का सामान, कपड़े समेत जलने से छह लाख रुपये के नुकसान की बात सामने आई है।

वहीं पूरे प्रकरण में पड़ोसियों ने अपनी पूरी भूमिका निभाई। आग के विकराल रूप को देखकर फायर ब्रिगेड को जानकारी तो दे दी, इधर घरों में लोगों ने मोटर आन की। पाइप बिछाये। चारों ओर से पड़ोसी घंटों आग पर काबू पाने में जुटे रहे। करीब एक घंटे बाद आग पर काबू पाया गया। पड़ोसियों के चलते ही आग दूसरे घरों में नहीं पहुंची।

वहीं दूसरी तरफ़ बता दें कि पड़ोसियों के मुताबिक, तंग गली होने के चलते फायर ब्रिगेड की गाड़ी घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकी। करीब सात सौ मीटर दूर ही गाड़ी खड़ी रही। दूरी अधिक होने के चलते फायर ब्रिगेड को तैयारियों में ही मशक्कत करनी पड़ी। जब फायर ब्रिगेड ने काम शुरू किया तब तक 80 प्रतिशत काम पड़ोसी पूरा कर चुके थे। आग पर काबू में पाने में फायर विभाग की तीन गाड़ियां लगी।