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यूपी: वाराणसी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आरएल सिंह सभागार में डाॅक्टर पृथ्वीश नाग ने कहा कि ऐसा करें शोध कि भूगोल भी नोबेल के लिए हो चयनित।
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आरएल सिंह सभागार में नेशनल ज्योग्राफिकल सोसाइटी आफ इंडिया और भूगोल विभाग, बीएचयू के संयुक्त तत्वावधान में भौगोलिक व्याख्याओं में रुझान मिथक और वास्तविकताएं ट्रेंड्स इन जियोग्राफिकल एक्सप्लेनेशंस मिथ्स एंड रियलिटीज विषय पर केंद्रित दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर नेशनल एसोसिएशन आफ जियोग्राफर आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने भूगोल के शोधार्थियों को शोध के विभिन्न नए आयामों से रूबरू कराया। भूगोल विभाग के सभी छात्रों और आचार्यों से आग्रह किया कि वे कुछ ऐसे विषयों पर शोध करें कि भूगोल को भी नोबेल पुरस्कार के लिए चयनित किया जा सके। इस मौके पर उन्होंने अपने द्वारा लिखित पुस्तकों को विभागाध्यक्ष को भेंट किया।
वहीं दूसरी तरफ़ संगोष्ठी में सम्मानित अतिथि दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स के भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुरेश चंद्र राय शोधार्थियों को भूगोल के नए आयामों पर कार्य करने के लिए उत्साहित किया।
बता दें कि वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोलवेत्ता प्रो. एचएन मिश्र ने शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे जो नए काम करें वह सामाजिक उत्थान के लिए कारगर हो। संगोष्ठी के आरंभ में विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस वर्ष कोरोना के प्रकोप से अपने गुजरे हुए सहकर्मियों प्रो. पीआर. शर्मा, प्रो. रामबिलास और प्रो. रविशंकर सिंह को विशेष रूप से याद किया। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. वीके. राय ने विषय का आधार रखा। विज्ञान संकाय के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने वैश्विक शोध और प्रकाशन का सुझाव देते हुए आयोजकों को इस कार्यक्रम की शुभकामना दी।
वहीं दूसरी तरफ़ अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति डा. वीके शुक्ला ने कहा कि मनुष्य ने ही प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया है, अतः हमें खुद के सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए न की प्रौद्योगिकी पर पूर्णतः निर्भर होना चाहिए। अंत में सह-संयोजक प्रो. एपी मिश्र ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डा. कपिल कुमार गावस्कर ने किया। कार्यक्रम में प्रो. आरएस यादव, प्रो. वीके त्रिपाठी, प्रो. गायत्री राय, प्रो. श्राबनी सान्याल, डा. वर्मा, डा. मीना आदि थे।