UP news
यूपी: वाराणसी में संकल्पना से संवर रहे गंगा के पाट, बदले घाटों के ठाट और दिख रही निर्मल धारा।
वाराणसी। काशीवासियों को गंगा का वह हाल याद है जब उसके घाट तक बेहाल से नजर आते थे। वह वर्ष भी स्मृतियों में है जब गुजरात का विकास माडल लेकर नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन करने काशी आए। गंगा का आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उनके हृदय के भाव जुबान पर आ गए। उन्होंने, कहा-मुझे गंगा मइया ने बुलाया है। क्यों बुलाया, यह गंगा की निर्मल धारा बताती है और इस छोर से उस ओर तक साफ-सुथरे, सजे-संवरे किनारे पर दिख जाता है।
वहीं प्रधानमंत्री बनने के बाद विकास की गंगा तो पूरे देश में बही, लेकिन काशी में विश्वनाथ दरबार और गंगा के तट पर यह श्रद्धावनत भाव में नजर आया। आस्था के इन केंद्र बिंदुओं का इस दृष्टि से ही विकास किया गया और कह सकते हैैं इतिहास रच दिया गया। वहीं अस्सी गंगा के तीर से 2014 में शुरू हुए अभियान ने जान तब आई जब 2017 में उत्तर प्रदेश में गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिन-रात एक कर दिया। यह पहली बार हुआ होगा जब किसी मुख्यमंत्री ने किसी जिले का लगभग हर माह, कभी-कभी पखवारे भर में दौरा किया।
वहीं दूसरी तरफ़ समेत नूतन कलेवर पा रहे कई घाट शहर के उत्तरी छोर पर वरुणा-गंगा संगम स्थित काशी के पहले घाट आदिकेशव (प्राचीन विष्णु तीर्थ) से खिड़किया घाट तक का पुनर्विकास किया जा रहा है। खिड़किया घाट पर 35.83 करोड़ खर्च कर 11.5 एकड़ में पार्क, फूड प्लाजा, पार्किंग समेत अंतरराष्ट्रीय मानक पर पर्यटक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। सड़क-रेल मार्ग से जुड़े इस घाट पर नाव-बजड़ों के लिए जेटी, सीएनजी स्टेशन और हेलीकाप्टर के लिए बहुउद्देश्यीय प्लेटफार्म बनाया जा रहा है। यहां नाव-बजड़े या जलयान पर सवार हो सैलानी-श्रद्धालु श्रीकाशी विश्वनाथ धाम या गंगा आरती देखने दशाश्वमेध घाट जाएंगे। गंगा के घाटों की विशाल शृंखला की छटा भी निहार पाएंगे। भैैंसासुर घाट पर ओपन एयर थिएटर बनाकर इस घाट को भी सांस्कृतिक आयोजनों से जोड़ दिया गया।
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के तहत श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना के तहत बाबा दरबार अब गंगधार से एकाकार हो गया है। गंगा तट पर मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका से लेकर पशुपतिनाथ स्थान ललिताघाट तक साज संवार की गई है। इनके मध्य स्थित जलासेन घाट पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का मुख्य द्वार गंगा यानी गेटवे आफ कारिडोर बनाया गया है। इसे चुनार के नक्काशीदार गुलाबी पत्थरों से 32 फीट ऊंचाई और 90 फीट चौड़ाई में पूरी भव्यता के साथ आकार दिया जा रहा है।
बता दें कि मणिकर्णिका से ललिताघाट तक 200 मीटर लंबाई में घाट को कर्व अनुसार 10 से 20 मीटर तक चौड़ाई में विस्तार दिया जा रहा है। ललिताघाट पर गंगा में 25 मीटर अंदर तक 55 मीटर लंबाई में सात मीटर चौड़ी जेटी तैयार है। इसके दोनों ओर नाव-बजड़े व जलयान लग सकेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से जल परिवहन विस्तार की शुरूआत नवंबर 2018 में वाराणसी से हल्दिया तक देश के पहले अंतरदेशीय जलमार्ग के लिए रामनगर के राल्हूपुर में 208 करोड़ की लागत से बनाए गए मल्टी माडल टर्मिनल से हो गई थी। यह परियोजना भले माल ढुलाई के लिए थी, लेकिन इसमें जल पर्यटन विस्तार की सोच भी समाहित थी।
वहीं बनारस में जल परिवहन के लिए पहले से 1800 नाव बजड़े संचालित हैं, लेकिन इसे समृद्ध व सुदृढ़ करने के लिए दो साल पहले स्टार्टअप कंपनी के जरिए पहला जलयान गंगा में उतारा गया। हाल ही में पर्यटन विभाग के जलयान के साथ ही भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के दो रो पैक्स गंगा में जल परिवहन को धार देने के लिए उतर चुके हैं। रो पैक्स में एक साथ 200 लोग सवार हो सकते हैं। इन्हें शहरी क्षेत्र से आगे अब कैथी से लेकर चुनार तक चलाने की तैयारी है।
बता दें कि राजघाट से सटे काशी स्टेशन पर 30.28 एकड़ भूखंड पर इंटर माडल टर्मिनल प्रस्तावित है। इसे भी खिड़किया घाट से जोड़ा जाएगा। यहां से रेल के साथ ही रोड ट्रांसपोर्ट समेत चार तरह के ट्रांसपोर्ट एक परिसर से संचालित होंगे। कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक रोपवे की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। यहां गंगा किनारे ही टूरिस्ट प्लाजा को भी आकार दिया जा रहा है ताकि जल पर्यटन को मजबूती मिल सके।