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यूपी: ग्रीन कारिडोर की जमीन से कमाई करेगा लखनऊ विकास प्राधिकरण।
लखनऊ। प्रदेश सरकार के ड्रिम प्रोजेक्ट में शामिल ग्रीन कारिडोर से लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा को काफी उम्मीद हैं। इसके मद्देनजर मंडलायुक्त रंजन कुमार की बैठक में ग्रीन कारिडोर के किनारे आने वाली जमीनों से हर माह एक निर्धारित किराया मिले और लविप्रा को आर्थिक संकट से भविष्य में कभी जूझना पड़े, इसको लेकर भी मसौदा तैयार किया जा रहा है।
वहीं निजी कंपनियों व कोलोनाइजर अगर जमीनें लविप्रा से लेता है और अपनी योजना विकसित करता है तो एक निर्धारित अवधि के बाद संबंधित कोलोनाइजर को अपने लाभ पांच से आठ फीसद लविप्रा को देना होगा। ऐसा विचार लविप्रा अपनी बैठकों में कर रहा है। यही नहीं हर तीन से पांच साल में बढ़ोत्तरी का नियम भी बना सकता है।
वहीं इससे लविप्रा के कर्मचारियों व अधिकारियों का वेतन और छोटे मोटे खर्च निकालने में प्राधिकरण को मदद मिलेगी। लविप्रा आइआइएम रोड से शहीद पथ के बीच ग्रीन कारिडोर बना रहा है। यह पूरा पैच 20.70 किमी. लंबा है। ग्रीन कारिडोर के दाएं व बाएं सरकारी जमीनें हैं, इन जमीनों का लविप्रा संबंधित सरकारी विभागों से लेने का प्रयास कर रहा है। इन जमीनों का मुद्रीकरण किया जाएगा।
बता दें कि फिर मुद्रीकरण से होने वाली आय से ग्रीन कारिडोर का बनेगा। इस कारिडोर के बनने से हजारों रोजगार जहां सृजन होंगे, वहीं भविष्य में शहीद पथ से किसान पथ को भी जोड़ा जाएगा, जो करीब पौने सात किमी. होगा, उस वक्त ग्रीन कारिडोर की कुल लंबाई 28 किमी. के आसपास हो जाएगी। सबसे बड़ी होती कि लविप्रा कई सौ एकड़ जमीन से हर माह एक निर्धारित किराया ले सकेगा और उस किराए जनहित के काम भी प्राधिकरण कर सकेगा। वर्तमान में लविप्रा क पास मासिक आय का कोई साधन नहीं है।
वहीं लविप्रा के पास लैंड बैंक दिन पर दिन कम होती जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों व अफसरों का वेतन और अपनी कालोनियों के रखरखाव की जिम्मेदारी रहने से बजट की आवश्यकता होती है। अगर ग्रीन कारिडोर के दाएं व बाएं आने वाली जमीनों से एक निर्धारित किराया लविप्रा को मिलता है तो लविप्रा आर्थिक रूप से जहां मजबूत होगा, वहीं भविष्य की याजनाओं के साथ ही जनहित के कार्योंं में सहयोग भी कर सकेगा।