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यूपी: वाराणसी बीएचयू में अब मरीजों के दांतों का घर्षण कम करेगा टाइटेनियम आक्साइड नैनो पार्टिकल परत युक्त आर्थोडोंटिक तार।
वाराणसी। टेढ़े मेढ़े दांत या जबड़ा खराब होने पर ब्रैकेट लगाकर तारों से दांतों को बांंधा जाता है, लेकिन उनमें टाइटेनियम की थोड़ी मात्रा होती थी। इससे तारों पर दबाव पड़ने पर घर्षण बढ़ जाता है। इससे दांतों पर तनाव बढ़ने लगता है। इस कारण दातों का क्षय होने लगता है और वे कमजोर हो जाते हैं।
वहीं इस समस्या को दूर करने के लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित दंत विज्ञान संकाय व भारतीय प्राैद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के मैटेरियल साइंस विभाग के विज्ञानियों ने टाइटेनियम आक्साइड नैनो पार्टिकल की परत युक्त आर्थो डोंटिक वायर (तार) विकसित किया है। यानी टाइटेनियम आक्साइड की तार पर नई परत डाली गई है। इससे तार बेहद मजबूत व सख्त हो जाते हैं, जिससे दांतों पर कोई दबाव नहीं पड़ता है और वे सुरक्षित रहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ इस नई तकनीक से दांतों का घर्षण कम हो जाता है। इस नई तकनीक से पहले की तुलना में उपचार आसान हो जाएगा। दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के प्रोफेसर डा. टीपी चतुर्वेदी व आइआइटी के डा. चंदन उपाध्याय ने इस कार्य का पेटेंट फाइल किया है। प्रो. चतुर्वेदी बताते हैं कि तार पर नई परत के उपयोग के बाद घर्षण कम होने के साथ ही दांतों का मूवमेंट भी आसान हो जाएगा है। बताया कि विज्ञानियों ने घर्षण से बचाव के लिए दांतों से वायर को अलग ढंग से बनाया है, जो कि दांत के अनियमित होने पर ठीक करेगा।
बता दें कि वहीं इससे उपचार में खर्च तो कम होगा ही साथ ही समय की भी बचत होगा। कारण कि अभी तक जिस तार का उपयोग हाेता है उसमें समय भी अधिक लगता है। नई तकनीक बच्चों के के टेढ़े-मेढे़ व बाहर निकले दांत व जबड़े के उपचार भी उपयोगी होगी। मालूम हो ऐसे ही कार्यों के लिए अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विश्व के वैज्ञानिकों के लिए जारी सूची में भारत से एकमात्र डेंटल सर्जन प्रो. टीपी चतुर्वेदी को शामिल किया गया है। इनके कई रिसर्च पेपर पहले भी प्रकाशित हो चुके हैं। प्रो. चतुर्वेदी वर्तमान में इंडियन डेंटल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी हैं।