![यूपी: कानपुर बिधनू गांव में फार्मासिस्टको ने दवा स्टोर व इंजेक्शन कक्ष में जड़ा ताला।](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMrsWgs5-BhLfCkl-bEAqK5ZKmMe63BKickhuV14005l-5Ayg9Gc-k1OQNSIeXRBWxm2QvO1JehxTRjM17AmbjFetFby6oPh7_r6aP8UtadiOlkMza_QY_3blX9r6Syz-iSTh7lF78SL4/w700/1639237543296442-0.png)
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यूपी: कानपुर बिधनू गांव में फार्मासिस्टको ने दवा स्टोर व इंजेक्शन कक्ष में जड़ा ताला।
कानपुर। बिधनू गांव में सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए डिप्लोमा फार्मासिस्ट अपनी मांगों पर अडिग हैं। शनिवार को बिधनू सीएचसी में फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष की अगुवाई में आंदोलन को धार देते हुए दो घंटे का कार्य बहिष्कार व तालाबंदी शुरू कर दी है। दवा स्टोर समेत कई कक्षों में फार्मेसिस्टों ने ताला जड़ दिया। वहीं फार्मासिस्ट एसोसिएशन की मांग है कि ट्रामा सेंटर व ड्रग वेयर हाउस और उप केंद्रों पर फार्मासिस्ट संवर्ग के पद सृजित किए जाएं।
वहीं दूसरी तरफ सीएचओ की योग्यता में बी फार्मा डी फार्मा को भी उसी तरह से शामिल किया जाए। फार्मासिस्ट को प्राथमिक उपचार के लिए दवाएं लिखने का अधिकार मिले। इतना ही नहीं जिला फार्मेसी अधिकारी का पद बनाया जाए। इन मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह सचान, महामंत्री राजेन्द्र सिंह पटेल के नेतृत्व में बिधनू सीएचसी चीफ फार्मासिस्ट जय प्रकाश प्रजापति, प्रमोद सचान,अखिलेश कुमार, बिहंदर सिंह सचान, मनू देवी ने दो घण्टे का कार्य बहिष्कार कर ओपीडी कक्ष के सामने सरकार के विरोधी नारे लगाए।
बता दें कि जिलाध्यक्ष ने कहा कि कर्मियों ने अब तक कई दिन तक काला फीता बांधकर कार्य किया। कहा कि संगठन की मांगों को सरकार ने न माना तो स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी जाएंगी। अब तक सरकार की ओर से प्रदेश नेतृत्व को कोई आश्वासन न दिए जाने से अब आंदोलन तेज हो गया है। शनिवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे तक फार्मासिस्ट कार्य नहीं किए गए। इमरजेंसी को छोड़कर सभी फार्मेसिस्ट ड्यूटी से गायब रहे।
वहीं एंटीरेबीज कक्ष, ड्रेसिग कक्ष, दवा वितरण काउंटर पर ताला जड़ दिया गया। इससे सेवाएं चरमरा गईं। दूर-दूर से आए मरीज दवा के लिए भटकते रहे। सदस्यों ने कहा आंदोलन मजबूती से चल रहा है। अस्पतालों में फार्मासिस्ट एकजुट हैं। सरकार को संगठन की मांगों पर विचार करके मान लेना चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन में हमारे योगदान को कम आंकने वाली सरकार व अफसरों को अपना हठ छोड़ना पड़ेगा।