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यूपी: अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में प्रवाहित संस्कृति की धार निकली शोभायात्रा। .
लखनऊ। राम नगरी अयोध्या में बुधवार को मैथिल संस्कृति की धार प्रवाहित हुई। अवसर अंतरराष्ट्रीय मैथिल सम्मेलन का था। बड़ा भक्तमाल आश्रम के सभागार में सम्मेलन की विधिवत शुरुआत तो बुधवार को सायंकाल होनी है किंतु इसकी मुनादी सुबह दस बजे भक्तमाल आश्रम से ही शोभा यात्रा के प्रस्थान से हुई। शोभायात्रा में मैथिली भाषा और संस्कृति के शताधिक अनुरागी शामिल रहे।
वहीं सभी मिथिला की वेशभूषा के अनुसार कुर्ता धोती उत्तरी और टोपी धारण किए हुए थे किंतु उनके दिल में मिथिला के साथ अयोध्या के लिए गहरा स्थान था। यह सच्चाई न केवल राम नगरी में निकली शोभायात्रा से हो रही थी बल्कि शोभा यात्रा के दौरान नारेबाजी के साथ वे जो आह्वान कर रहे थे उससे भी परिभाषित हो रहा था। वे जय सियाराम जय सियाराम और मिथिला वासी एक हो आह्वान करते हुए अत्यंत उत्सव पूर्वक राम जन्म भूम पहुंचे और वहां से वापस बड़ा भक्तमाल पहुंचे।
वहीं दूसरी तरफ शोभा यात्रा की अगुवाई बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास सहित अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ महेंद्र नारायण महासचिव डॉक्टर वैद्यनाथ चौधरी प्रवीण झा आदि कर रहे थे। इस दौरान पृथक मैथिली राज्य आकांक्षा उजागर हुई। शाम को सम्मेलन के उद्घाटन के लिए बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री जीवेश मिस्र का बिहार से आगमन भी हो चुका है और वह सर्किट हाउस में रुके हुए हैं। शाम तक वह बड़ा भक्तमाल पहुंचकर मैथिली सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
वहीं इस मौके पर दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति कामेश्वर सिंह एवं अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। उद्घाटन सत्र के बाद संत सम्मेलन संयोजित है। संत सम्मेलन में राम नगरी के 70 संत आमंत्रित हैं जिन्हें मैथिली रत्न सम्मान से भी विभूषित किया जाएगा। दो दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन मैथिली भाषा एवं संस्कृत के उत्थान पर विमर्श प्रस्तावित है।