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यूपी: वाराणसी में द्वापर से कलियुग तक की गाथा शिव की बरात में दिखी।
वाराणसी। काशी पुराधिपति का भव्य धाम अब लोकार्पण के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को इसे विश्व को समर्पित करेंगे। इस भव्य विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले देवाधिदेव की नगरी ने एक खास उत्सव शनिवार को मनाया। इस उत्सव में द्वापर से कलियुग तक की विभिन्न गाथाएं प्रदर्शित की गईं।
वहीं काशी जहां मृत्यु भी एक उत्सव होती है, इसके पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के भव्य धाम का उत्सव मनाने में भला कैसे पीछे रहती। वैसे भी यहां साल भर उत्सवों की एक बड़ी शृंखला बनती है। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन ने बाबा धाम के लोकार्पण से पहले एक उत्सव की परिकल्पना की और इसको साकार करने का जिम्मा शिवबरात समिति को सौंप दिया। इस परिकल्पना के तहत शनिवार को एक भव्य शोभायात्रा मैदागिन से निकाली गई। इसमें भगवान शिव, श्रीकृष्ण, राधा के साथ ही काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप के शौर्य की झलकियां दिखाई गईं।
बता दें कि वहीं शिव बारात समिति के संयोजक दिलीप सिंह ने बताया कि हर-हर महादेव अविरल उद्घोष के बीच पूरी काशी अपनी मस्ती में गंगा जमुनी तहजीब के साथ विश्वनाथ धाम की ओर चलती रही। 51 लोग शंखघोष कर रहे थे। शोभायात्रा में 11 नदियों का पवित्र जल चांदी के कलश में भरे थे, जिनसे बाबा का जलाभिषेक किया गया। बाबा खुद दूल्हा बने इस शोभायात्रा में शामिल थे।
वहीं दूसरी तरफ़ शोभायात्रा में भारत माता भी तिरंगा लिए चल रही थीं। लोकगीत और लोक कलाकारों ने इस माहौल को और सांस्कृतिक बना दिया। शोभायात्रा के रास्ते भर लोग पुष्पवर्षा करते रहे। ऐसा लगा मानो, काशी में कोई नया त्योहार शुरू हो गया। तीन किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह शोभायात्रा खुद ही करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी थी