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यूपी: वाराणसी में सपा के वरिष्ठ नेता व एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि विश्वेश्वर क्षेत्र का प्रारंभ हो रहा नया अध्याय। .
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता व एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने भी प्रसन्नता जाहिर की है। उन्होंने 13 दिसंबर 2021 को काशी के सांस्कृतिक गौरव और उसकी अस्मिता से जोड़ते हुए कहा कि विश्वेश्वर क्षेत्र का नया अध्याय प्रारंभ हो रहा है। दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले महात्मा गांधी को मंदिर में दर्शन करने में गंदगी अब नहीं दिखेगी। डा. लोहिया लिखित इंटरवल ड्यूरिंग पालिटिक्स लेख में उनके द्वारा किए गए आवाहन तीर्थों को बनाओ और साफ रखो भी चरितार्थ होता दिखेगा।
वहीं गंगा और उसके घाटों की रमणीयता व अनेक पौराणिक मंदिरों की शृंखला होने की वजह से काशी सदैव से ऋषि-मुनियों की साधना स्थली व दर्शनार्थियों, तीर्थ यात्रियों के आवागमन का केंद्र रहा है। इसके साथ ही यह पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों का भी प्रमुख बाजार रहा है। यकीनन पिछले दो दशकों में काशी सहित पूरे वाराणसी में पैसे के बिना विकास का अभाव काल समाप्त हुआ है। उम्मीद की जाती है कि मौजूदा विकास की निरंतरता भविष्य में भी बनी रहेगी।
बता दें कि उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से अधिनियमित श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद वाराणसी अधिनियम 2018 के अंतर्गत करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से गंगा के तट पर नव निर्माण हो रहा है। 527, 730 वर्ग फीट क्षेत्र में विश्वनाथ धाम का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। सन 1777-78 में द्वादश ज्योतिर्लिंग पर माता अहिल्याबाई होलकर द्वारा जीर्णोद्धार किया गया।
वहीं विश्व के करोड़ों की आस्था के प्रतीक बाबा के इस मंदिर तथा गंगा तट तक फैले इसके परिसर को नया आयाम मिल रहा है। उसका भव्य और विशिष्ट स्वरूप जन-जन को दिखेगा। आशा है अब भविष्य में बाबा का दर्शन-पूजन, जलाभिषेक-रुद्राभिषेक-दुग्धाभिषेक, आरती व ध्यान आदि करने में स्थान का अभाव नहीं होगा।
वहीं दूसरी तरफ़ धक्का-मुक्की नहीं होगी। किसी दर्शनार्थी के साथ बदसलूकी नहीं होगी। 3500 वर्ग मीटर वाले इस विशाल क्षेत्र की वजह से शिवरात्रि पर गोदौलिया से चौक तक लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ेगी। सन 2005 में किसी सिरफिरे अफसर ने मंदिर की दीवारों पर रासायनिक पेंट पोतवा दिया था। इसे हटाया जाना हम लोगों की पुरानी मांग थी। पता चला है कि एनामल पेंट को हटा दिया गया है। इससे मंदिर की शिलाएं संरक्षित और सुरक्षित रहेंगी।