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यूपी: कानपुर पुलिस के लिए मुसीबत बने दो लाख रुपये खर्च कराने वाले सात कुत्ते।
कानपुर। रसोई मसाला कारोबारी की पत्नी की मौत का मामला पुलिस के लिए चुनौती बना है तो कारोबारी के सात खास कुत्ते मुसीबत बन गए हैं। रोजाना सात हजार का खाना खाने वाले सात कुत्तों को रखने वाला कोई नहीं मिल रहा है। घटना के बाद से इन सातों कुत्तों का बोझ ऐसा है कि पुलिस और एनजीओ के बीच का पेंडुलम बन गए हैं। अबतक ये कुत्ते जहां भी रहे हैं, उसकी जेब ही खाली कराते जा रहे हैं। अब गुड़गांव से वापसी के बाद एसीपी ने कुत्तों को केयर टेकर को सौंप दिए हैं।
बता दें कि वहीं कानपुर के नजीराबाद थाने के अंतर्गत अशोक नगर पॉश इलाके में रहने वाले रसोई मसाला कारोबारी सूर्यांश खरबंदा की पत्नी आंचल का शव कमरे में बाथरूम के अंदर फांसी के फंदे पर लटका मिला था। मायके वालों ने आंचल के पति सूर्यांश, उसकी मां और परिवार वालों पर गंभीर आरोप लगाए थे। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके सूर्यांश, उसकी मां समेत आरोपितों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।
वहीं वारदात के बाद सूर्यांश का खरबंदा हाउस के नाम का घर, मकान में उपलब्ध सुविधाएं, सूर्यांश के बॉडीगार्ड और विदेशी नस्ल के कीमती सात कुत्ते खासा चर्चा में आए थे। पुलिस ने जब खरबंदा हाउस सील किया तो सात कुत्तों के अलावा एक मुर्गा भी मिला था, जिसे नगर निगम के हवाले कर दिया गया था।
वहीं दूसरी तरफ़ सूर्यांश के विदेशी नस्ल के कीमती कुत्ते पुलिस के लिए मुसीबत बन गए। पहले दिन पुलिस कुत्तों के खान-पान का ख्याल रखने में जेब खाली कर बैठी थी तो उन्हें दूसरे दिन नगर निगम की सुपुर्दगी में दे दिया था। कानपुर के नगर निगम के अफसरों ने भारी खर्चा देखते हुए तुरंत ही सातों कुत्तों को एक स्वयंसेवी संस्था फ्रेंडीकोएस सेका के सुपुर्द कर दिया था।
वहीं एक दिन कानपुर शहर में सातों कुत्तों को रखने के बाद संस्था ने पुलिस और नगर निगम को सूचना दिए बिना उन्हें मुख्यालय गुरुग्राम भेज दिया गया था। दरअसल, स्वयंसेवी संस्था को कुत्ते रखने के एवज में सात हजार रुपये प्रतिदिन अदा किये जाने थे, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था। पुलिस और नगर निगम अपना अपना पल्ला झाड़ने लगे थे।
वहीं दूसरी तरफ़ विवाद खड़ा होने पर नगर निगम के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाक्टर आरके निरंजन की ओर से एक पत्र एसीपी नजीराबाद को लिखा गया था, जिसमें कुत्तों को वापस के लिए कहा गया था। पत्र में कहा गया कि कुत्ते विदेशी नस्ल के हैं। नगर निगम और एनजीओ के पास देशी कुत्तों की नसबंदी व रखरखाव का अनुभव है, विदेशी कुत्तों का नहीं। ऐसे में कुत्ते संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं,।
वहीं जिससे उनकी मौत तक हो सकती है। अच्छा होगा कि कुत्ते वापस ले लिए जाएं। इसके बाद पुलिस की रिपोर्ट के आधार गुरुग्राम से एनजीओ के माध्यम से कुत्ते वापस लाये गए। इसके बाद नगर निगम ने एनजीओ से सुपर्दगी लेकर कुत्तों को पुलिस के हवाले कर दिया। एसीपी नजीराबाद संतोष सिंह ने बताया कि अब कुत्तों को सूर्यांश के रिश्तेदारों को सौंपा गया है।
वहीं दूसरी तरफ़ सूर्यांश के घर में रहने वाले सातों कुत्ते फ्रैंच मैक्सिस नस्ल के हैं, जो काफी महंगे होते हैं। इस एक कुत्ते की कीमत करीब एक से डेढ़ लाख रुपये होती है। इनकी डाइट भी काफी होती है, एक कुत्ते का रोजाना खर्च करीब एक हजार रुपये आता है। सातों कुत्तों को गुरुग्राम भेजे जाने की जानकारी पर रिश्तेदारों ने संस्था के स्थानीय अधिकारी अभिषेक सिंह से बात की थी। इसपर उन्होंने कहा था कि पुलिस की रिपोर्ट के बाद कुत्ते वापस लौटेंगे और इससे पहले उन्हें प्रति कुत्ता प्रतिदिन के हिसाब से एक हजार रुपये अदा करना होगा। यानी 2.10 लाख रुपये महीना शुल्क अदा करना होगा।