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यूपी: वाराणसी में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले तीन गिरोह के सदस्यों को एसटीएफ छावनी क्षेत्र स्थित एक माल के पास से किया गिरफ्तार।

यूपी: वाराणसी में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले तीन गिरोह के सदस्यों को एसटीएफ छावनी क्षेत्र स्थित एक माल के पास से किया गिरफ्तार।

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वाराणसी। सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के सरगना सहित तीन सदस्यों को एसटीएफ वाराणसी यूनिट ने शनिवार की सुबह छावनी क्षेत्र स्थित एक माल के पास से गिरफ्तार किया। कब्जे से कूटरचित एफसीआई, स्वास्थ्य विभाग और वन विभाग का स्टैंप, पासुबक, चेक, अभ्यर्थियों का कूटरचित नियुक्ति पत्र आदि दस्तावेज बरामद हुआ। तीनों के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

वहीं एसटीएफ वाराणसी यूनिट के निरीक्षक पुनीत परिहार को सूचना मिली कि स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, पुलिस, खाद्य निगम (उत्तर प्रदेश, हरियाणा व झारखंड), फारेस्ट गार्ड (यूपी और बिहार-झारखंड) और आर्मी में जीडी के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का सरगना निलेश सिंह अपने दो साथियों के साथ छावनी क्षेत्र स्थित एक माल के पास है। उसने युवकों को भर्ती के नाम पर बुलाया है। 

वहीं दूसरी तरफ़ टीम ने घेराबंदी करते हुए तीनों को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ की पूछताछ में उन्होंने बलिया के भीमपुरा थाना अंतर्गत बरवारित गांव निवासी निलेश सिंह उर्फ अभिषेक, मऊ के मधुबन थाना क्षेत्र के परसपुर गांव निवासी प्रदीप सिंह और चंदौली स्थित सकलडीहा थाना अंतर्गत रानेपुर गांव निवासी अजय प्रताप सिंह बताया। उन्होंने बताया कि विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से धोखाधड़ी करते हैं। एसटीएफ ने सभी आरोपियों को कैंट थाने को सौंप दिया।

बता दें कि वहीं एसटीएफ के पूछताछ में सामने आया कि इनका एक संगठित गिरोह है और यह वर्ष 2019 से सक्रिय हैं। गिरोह के सदस्य इंटरनेट पर सरकारी नौकरी की वेबसाइट चेक किया करते हैं। सरगना निलेश ने पूछताछ में बताया कि पिछले दो-तीन वर्ष से नौकरी का लालच देकर बेरोजगार युवक, युवतियों को अपने झांसे में लेकर विभिन्न विभागों के कूटरचित जाली नियुक्ति पत्र बनाकर देता था, इसके एवज में उनके अभिभावकों से सात-सात लाख रुपये वसूलते थे। 

वहीं दूसरी तरफ़ निलेश ने बताया कि इस खेल में मेरे साथ अन्य कई और लोग भी शामिल हैं। इस क्षेत्र में मेरे साथ अजय और प्रदीप नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों और युवतियों के अभिभावकों से अपने मोबाइल फोन से मेरी बात कराते थे। जिनका पैसा मिलता था, उनके कूटरचित नियुक्ति पत्र पोस्ट आफिस या स्वयं व अपने झारखंड के सहयोगियों बलिया के सिकंदरपुर निवासी चन्द्रभूषण यादव और महतो के जरिए से फर्जी नियुक्ति पत्र व पुलिस वेरिफिकेशन के कागजात डाक से उनके पते पर भेजते थे।