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यूपी: वाराणसी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर आम दर्शनार्थियों के लिए आज नौ घंटे रहेगा बंद।
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण अवसर पर सोमवार सुबह सात से शाम चार बजे तक मंदिर पर आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहेगा। शाम चार बजे के बाद दर्शन के लिए पट खुलेंगे। वहीं श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण समेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिवसीय काशी दौरे 13 व 14 दिसंबर की तैयारियां परखने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार शाम बनारस पहुंचे। अधिकारियों को चौराहों व सड़कों पर और लाइटिंग के प्रबंध का निर्देश दिया। कहा कि सुबह स्वच्छता को लेकर अभियान चलाएं। शहर के किसी कोने में गंदगी नहीं दिखनी चाहिए।
वहीं मुख्यमंत्री सबसे पहले संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बना हेलीपैड देखने गए। काल भैरव मंदिर में दर्शन-पूजन के साथ ही यहां की व्यवस्था देखी। राजघाट से जलयान पर सवार हो विश्वनाथ धाम पहुंचे। इसी मार्ग से प्रधानमंत्री को भी सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम आना है। मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में अब तक हुई तैयारियों को देखा व आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बाबा का दर्शन-पूजन भी किया।
बता दें कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री ने कहा था कि न मैं यहां आया हूं, न यहां लाया गया हूं, मुझे मां गंगा ने बुलाया है। शायद मां गंगा ये महान कार्य उनके माध्यम से कराना चाहती थीं। मां गंगा को बाबा विश्वनाथ का सान्निध्य प्राप्त करना था। वही सान्निध्य प्राप्त करने के उद्देश्य से एक दुर्लभ क्षण काशीवासियों को पूरे देश से पधारे संतों की उपस्थिति में देश और दुनिया के श्रद्धालुओं को देखने सुनने को प्राप्त होगा। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तैयार है। प्रधानमंत्री के हाथों इसका लोकार्पण सोमवार को होगा।
बता दें कि सीएम ने कहा कि लगभग 100 वर्ष पहले महात्मा गांधी 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में आए थे। यहां की गलियों और दुर्व्यवस्था को देखकर तीखी टिप्पणी की थी। लेकिन 100 वर्षों तक किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया। प्रधानमंत्री ने इसकी सुध ली। आज प्रत्येक काशीवासी इस आनंद कानन का अनुभव काशी विश्वनाथधाम के माध्यम से कर रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम नये स्वरूप में बनकर तैयार हो चुका है। यह हम सभी का सौभाग्य है कि धाम और उस परिकल्पना को साकार होते हुए हम सभी देख पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन इतिहास है।
वहीं दूसरी तरफ़ लगभग एक हजार वर्षों तक इसने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। विदेशी आक्रांताओं के हमले को भी झेला है। बावजूद श्री काशी विश्वनाथ धाम जिस बात का वास्तविक हकदार था, महारानी अहिल्याबाई ने, महाराणा रणजीत सिंह ने अपने-अपने समय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री काशी विश्वनाथ धाम का अलौकिक, भव्य एवं दिव्य दर्शन हर एक भारतवासी कर सके। इसकी भव्यता और दिव्यता को एक नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने का श्रेय प्रधानमंत्री को जा रहा है।