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उत्तराखंड: बागेश्वर में कोरोना के बाद क्रिसमस और न्यू ईयर पर पर्यटकों के स्वागत में 'मिनी स्विटजरलैंड' फिर से हुआ तैयार।
उत्तराखंड। बागेश्वर में क्रिसमस व थर्टीफर्स्ट में आने वाले सैलानियों के लिए महात्मा गांधी के सपनों का मिनी स्विटजरलैंड कौसानी तैयार होने लगा है। कोरोना महामारी में काफी नुकसान होने के बावजूद व्यापारियों को उम्मीद है कि यह सीजन बेहतर रहेगा। वहीं कोरोना काल से पहले हर साल दिसंबर की शुरुआत में ही कौसानी के होटल हाउसफुल हो जाते थे। पर्यटन यहां आने के लिए आतुर रहते थे। दिसंबर माह में लगभग बीस हजार से अधिक पर्यटन जिले की वादियों में रहता था।
वहीं जनवरी दूसरे सप्ताह तक वह लौटता था। कौसानी की गुनगुन धूप और हिमालय का विहंगम दृश्य उन्हें यहां आने के लिए विवश करता रहा है। इस वर्ष कोरोना का असर कम होने से देश के विभिन्न राज्यों से कौसानी के होटलों में आनलाइन बुकिंग आने लगी है। यहां करीब 40 छोटे बड़े होटल और विश्राम गृह हैं। नए वर्ष और क्रिसमस के लिए होटलों में गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली एनसीआर, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, लखनऊ, यूपी आदि से बुकिंग आने लगी है।
वहीं आनलाइन बुकिंग के बीच होटल कारोबारियों ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सैलानियों को अच्छे टूर पैकेज के आफर भी दिया जा रहा है। ये सुविधाएं भी मिलेंगी। वही बोन फायर, डीजे की व्यवस्था के अलावा होटलों में थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजेशन के पुख्ता इंतजाम हैं। पर्यटकों को कुमाऊंनी व्यंजन में मडुवे की रोटी, पालक, लाही की सब्जी, गहत की दाल, भट की चुरकानी और लाल चावल का भात परोसा जाएगा। इसके अलावा उनके मन पसंद का भोजन भी तैयार किया जाएगा।
वहीं जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ती चंद्र आर्य ने बताया कि पर्यटकों की जांच के लिए कौसानी में स्टेजिंग एरिया भी बनाया गया है। दोनों टीका लगाने वालों को प्रमाणपत्र भी साथ लाना होगा। ओमिक्रोन का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन पहाड़ों में अभी यह नहीं है। उम्मीद है इस वर्ष नए साल का जश्न मनाने के लिए सैलानी यहां आएंगे और कारोबार भी अच्छा होगा।
वहीं होटल एसोसिएशन के बबलू नेगी ने बताया कि नए साल और क्रिसमस को लेकर जिस तरह की उम्मीद थी, अब तक उतनी बुकिंग नहीं हो रही है। 30 प्रतिशत बुकिंग आई है। ओमिक्राेन के सामने आने के बाद बुकिंग में कमी आई है। होटलों ने सैलानियों के भव्य स्वागत की पूरी तैयारियां कर ली है। कोविड गाइडलाइन का भी पालन कराया जा रहा है। उम्मीद है कि पिछले वर्ष से बेहतर कारोबार होगा।
वहीं महात्मा गांधी जब कौसनी आए तो यहां के शांत वातावरण और वादियों की खूबसूरती देखकर इसे मिनी स्विटजरलैंड नाम दिया था। यह जगह उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने यहीं पर आश्रम भी बनवाया था, जिसे हम अनासक्ति आश्रम के नाम से जानते हैं। यह पर्यटकों में खासा पसंद किया जाता है। कौसानी घूमने आने वाला पर्यटक अनासक्ति आश्रम जरूर आता है।