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हरियाणा: बहादुरगढ़ में माइनस 10 डिग्री में ट्रेनिग लेकर रेस्क्यू आपरेशन के लिए तैयार कर रहे सिक्स सिग्मा की वालंटियर टीम।
हरियाणा। बहादुरगढ़ में पर्वतीय क्षेत्रों में फंसने वाले लोगो की जान बचाने में अग्रणी रहने वाली सिक्स सिग्मा हाई आल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस की टीम इन दिनों माइनस 10 डिग्री तापमान में ट्रेनिग ले रही है। टीम में शामिल वालंटियरों को जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में हाई आल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के जरिये रेस्क्यू आपरेशन के लिए तैयार किया जा रहा है।
वहीं बर्फ के घर (इग्लू) में रहकर ये वालंटियर पसीना बहा रहे हैं। बर्फीले पहाड़ों में सिक्स सिग्मा ने सीजन का पहला इग्लू बनाया है। इसमें बर्फ के अलावा कोई सामग्री प्रयोग में नहीं लाई जाती। कनाडा के मध्य आर्कटिक और ग्रीनलैंड के क्षेत्रों के लोग इस तरह के घर का इस्तेमाल काफी करते हैं। बहादुरगढ़ के खरहर गांव के मूल निवासी एवं सिक्स सिग्मा के सीईओ डा. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में सिक्स सिग्मा के लिए बचाव का सबसे कारगर हथियार इग्लू होता है। इसके अंदर सिक्स सिग्मा का डाक्टर एक मोमबत्ती के सहारे कई दिन गुजार सकता है। एक इग्लू में तीन-चार लोग रहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ डा. भारद्वाज ने बताया कि इग्लू का मतलब होता है बर्फ का घर। ठंड के दिनों में वहां का तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इसलिए ठंड से बचने के लिए एस्किमो इग्लू का निर्माण करते हैं। ठोस बर्फ के टुकड़ों को आपस में जोड़ दिया जाता है। इग्लू में दम न घुटे, इसलिए छत पर एक छेद किया जाता है। कई बार इग्लू को बाहर से कंबलों से भी ढक दिया जाता है, ताकि अंदर भी गर्मी बरकरार रहे।
वहीं इग्लू तूफान आने पर टूटे नहीं, इसलिए उसे गुंबद का आकार दिया जाता है। जिस तरह रजाई या स्वेटर हमारे शरीर की गर्मी को अंदर रोककर हमें गरम रखते हैं, उसी तरह बर्फ के घर भी लोगों के शरीर से उत्पन्न गर्मी को बाहर नहीं जाने देते। सिक्स सिग्मा की टीम को बर्फ के बीच रेस्क्यू आपरेशन अंजाम देने के लिए कठिन ट्रेनिग दी जा रही है।