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मध्य प्रदेश: इंदौर में 20 लाख क्लैम पाने के लिए महिला ने दर्ज करवाया फर्जी केस।
मध्य प्रदेश। इन्दौर ज़िले में दुर्घटना में खुद को घायल बताते हुए आवेदक ने जिला अदालत में फर्जी मुकदमा दायर किया। उसने अदालत को बताया कि वह 17 दिनों तक एक निजी अस्पताल में भर्ती रही और इलाज पर लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन सच्चाई अदालत से छिपी नहीं रही। महिला ने दुर्घटना 16 फरवरी 2018 की बताई थी लेकिन इसकी रिपोर्ट पुलिस को 27 फरवरी को लिखी गई थी। अदालत ने न केवल आवेदक के दावे को खारिज कर दिया बल्कि उसे बीमा कंपनी को दो हजार रुपये हर्जाने के रूप में देने का भी आदेश दिया।
वहीं ग्राम बिजलपुर निवासी सावित्रीबाई ने जिला न्यायालय में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस दायर कंपनी के खिलाफ क्लेम केस दर्ज किया गया था। महिला ने कहा कि 16 फरवरी 2018 में वह अपने भाई जितेंद्र के साथ बाइक से रानीपुरा जा रही थी। इसी दौरान दिलीप पाटीदार की मोटरसाइकिल ने उन्हें टक्कर मार दी जिससे सावित्री बाई के सिर में फ्रैक्चर हो गया। शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोट आई है। उन्हें 17 दिनों तक एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और इलाज पर छह लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए।
वहीं दूसरी तरफ़ क्लेम मामले में सावित्रीबाई ने बीमा कंपनी से 20 लाख रुपये की मांग की थी. बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता राजेश चौरसिया पेश हुए। उन्होंने कहा कि जिरह से पता चला कि दुर्घटना जिस तारीख की बताई जा रही है उसके 11 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज की गई है। मोटरसाइकिल की जांच में सामने आया कि इसमें किसी तरह की टूट फूट नहीं हुई है। जबकि दुर्घटना इसी मोटरसाइकिल पर हुई थी। बता दें कि एमएलसी बनाने वाले डाक्टर ने भी माना था कि सावित्रीबाई को चोट गिरने से लगी है।
वहीं जिस वाहन से दुर्घटना की बात कही जा रही है वह आवेदक के किसी परिचित का वाहन था। अधिवक्ता चौरसिया ने कहा कि अदालत ने माना कि मुआवजा पाने के लिए मोटर साइकिल चालक और आवेदक ने एक दूसरे के साथ मिलकर झूठा मामला पेश किया है। कोर्ट ने क्लेम केस को रद करते हुए बीमा कंपनी को दो हजार रुपये का मुआवजा भी दिलवाया।