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हरियाणा: अंबाला गांव में इस बार रिपब्लिक डे 2022 पर घर-घर से इंडिया-पाक सीमा पर डटे रहेंगे जवान।

हरियाणा: अंबाला गांव में इस बार रिपब्लिक डे 2022 पर घर-घर से इंडिया-पाक सीमा पर डटे रहेंगे जवान।


हरियाणा। अंबाला के गांव जनसुई के लोगों को अपने गांव पर गर्व है, क्योंकि गांव ने देश की रक्षा के लिए करीब 150 जवान दिए हैं। इन्होंने सिर्फ अपनी ड्यूटी ही नहीं बजाई, बल्कि युद्ध के मैदान में भी अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई है। गांव से आज भी 25 जवान देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। जबकि 32 साल पहले श्रीलंका में लिट्टे के हमले में एक जवान शहीद हो गया था। वहीं कारगिल की लड़ाई में भी एक के पांव पर गोली लग गई थी। हालांकि बचाव हो गया था।

वहीं गांव जनसुई के सूरत सिंह ने बताया कि 20 मार्च 1985 को उन्होंने सेना ज्वाइन की थी। जहां उन्होंने 1 अप्रैल 2010 तक मोर्चा संभाला। इस दौरान कारगिल युद्ध में भी लड़ाई लड़ी। इस दौरान वह अपने ट्रूप के बतौर कमांडर काम करते रहे हैं। निर्मल सिंह को संबंधियों ने आर्मी में जाने के लिए प्रेरित किया था। जिसमें उन्हें शारीरिक परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग देने के साथ प्रोत्साहित करते थे। मृतक निर्मल सिंह को उनके ताया हवलदार सूरत सिंह भर्ती करवाने के लिए कुरुक्षेत्र पहुंचे, जहां भर्ती परीक्षा का टेस्ट पास किया था। 

वहीं गांव जनसुई के आर्नी कैप्टन वजीर सिंह ने बताया कि उसने दिसंबर 1989 को बतौर सिपाही सेना में ज्वाइन किया था। इसके बाद वह लास नायक, नाइक, हवलदार, नायब सुबेदार, सुबेदार, आर्नी लेफ्टिनेंट और आर्नी कैप्टन तक अपनी सेवाएं दी। 31 दिसंबर 2019 को रिटायरमेंट हो गई थी। उन्होंने ओपी बजरंग 1991-92 के आप्रेशन और 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भूमिका निभायी है। 

वहीं आर्नी कैप्टन वजीर सिंह ने बताया कि लाइन आफ कंट्रोल (एलओसी) पर चील की निगाह और चीता की स्पीड की तरह ड्यूटी देनी होती है। क्योंकि दुश्मन स्नाइपर फायर करने के लिए घात लगाकर बैठा रहता है। यदि कहीं भी थोड़ी सी ढील हो जाए तो जान जा सकती है। दुश्मन के टारगेट में न आए इसका खास ध्यान रखना होता है।