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उत्तराखंड: बजट 2022 में लोगों को चुनावी बजट से उम्मीदें, महंगाई, रोजगार और टैक्स को लेकर कही ये बात।

उत्तराखंड: बजट 2022 में लोगों को चुनावी बजट से उम्मीदें, महंगाई, रोजगार और टैक्स को लेकर कही ये बात।


उत्तराखंड। कल आने वाले आम बजट काे लेकर सबकी निगाहें टिकी हैं। महंगाई के दौर में संतुलित बजट की सभी को आश है। चुनावी बजट होने के कारण हर वर्ग इसको लेकर आशाएं हैं। पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल जैसी वस्तुओं के दाम नियंत्रित होंगे। गरीबों को रोटी, कपड़ा, मकान आदि के लिए बजट बेहतर होगा। वहीं आयकर दाताओं को भी टैक्स में छूट की सीमा बढ़ने और कम करने का इंतजार है। सोमवार को मिडिया ने आयकर दाताओं, अधिवक्ता और व्यापारियों से बजट को लेकर बातचीत की।

वहीं पूर्व प्रधानाचार्य बंशीधर जोशी कहते हैं कि आठ लाख रुपये की वार्षिक आय वाले को ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक आधार पर राजकीय सेवाओं में आरक्षण दिया जाता है। आयकर की सीमा आठ लाख रुपये ही होनी चाहिए। मुफ्त की राजनीतिक घूस को समाप्त कर वस्तुओं के दाम जैसे बिजली, पानी, यातायात कर, पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमत कम होनी चाहिए। 

वहीं प्रत्यक्ष कर की वृद्धि हो, लेकिन परोक्ष कर न्यूतम रूप में लिया जाना चाहिए। ताकि कम कीमत पर वस्तुएं आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति तक पहुंचे। सरकार कुल बजट का कितना प्रतिशत मुफ्त में देना चाहती है, इसकी घोषणा बजट के समय ही कर देनी चाहिए। ताकि मुफ्तखोरी पर लगाम लगे। वार्षिक आयकर को सरल बनाते हुए छह माह महीने की किश्त पर लिया जाए।

वहीं एक फरवरी का दिन व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है। इस बार चुनावी बजट पेश हो रहा है। जिस पर काफी आश है। टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। गरीब आदमी कहा से टैक्स देगा। महंगाई बढ़ गई है। जिसके कारण प्रत्येक वस्तुएं महंगी हो गई हैं। रसोई गैस सिलिंडर, पेट्रोल, डीजल और खाने-पीने की वस्तुओं के दाम नियंत्रित करने की जरूरत है। रोजगार के नए अवसर लाने होंगे।

वहीं जिसके लिए अलग से नीति बनाने की जरूरत है। पांच लाख रुपये तक की इनकम में टैक्स पर छूट मिलनी चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर विशेष फोकस होना चाहिए। बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन के लिए भी बजट देना चाहिए। ताकि ब्रिटिशकाल से चली आ रही मांग पूरी होगी। स्मारिक दृष्टि से यह रेल लाइन महत्वपूर्ण है।

वहीं दूसरी तरफ़ व्यापारी नरेंद्र खेतवाल का कना है कि उद्योगपति दलीप खेतवाल का कहना है कि पहाड़ में भी भारी भरकम टैक्स लगाया गया है। जबकि आमदनी नहीं है। नौकरीपेशा से पहाड़ की आर्थिकी चलती है। खेती एक तरह से चौपट हो गई है। सेना में अधिकतर युवा तैनात हैं। वह सीमाओं की रखवाली कर रहे हैं। देश की सुरक्षा में उनका अहम रोल है। 

वहीं पहाड़ को टैक्स की परिधि से दूर रखना ही उचित होगा। लगभग 15 आदमी के ऊपर वाले उद्योग, फर्म संचालकों टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। सरकार मुफ्तखोरी बंद करे। पूर्व विधायक, मंत्री, सांसद की खर्च पर रोक लगानी चाहिए और पचार प्रतिशत तक कटौती की जानी चाहिए। बेरोजगारी दूर करने के उपाय खोजें जाएं। युवा वर्ग के लिए बजट में बेहतर होने की उम्मीद है।

वहीं कर सलाहकार एडवोकेट राजेश रौतेला ने कहा कि बजट कल्याणकारी होना चाहिए। जो एक आम व्यक्ति जो समाज की मुख्यधारा से पिछड़ता जा रहा है। उसका भी ध्यान रखा जाए। आयकर का स्लैब बढ़ाने के बजाए, आयकर छूट की धारा 80 सी यानी डेढ़ लाख के बढ़ाकर दो लाख करनी चाहिए। टर्म प्लान को 80 सी के अतिरिक्त छूट मिलनी चाहिए। बजट आत्मनिर्भर बनाने वाला होना चाहिए। 

वहीं जो आज के डिजिटल युग में नई पीढ़ी को रोजगार दे सके। सरकार ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना चाहिए। जैसे क्रिप्टो कैरेंसी या अन्य डिजिटल लेनदेन को संविधान में मान्यता देकर उसे अन्य स्रोतों से आय मानते हुए, करदेयता के अंदर लाना चाहिए। बजट पर्यटन, स्थानीय संसाधन को सरकार ने चयन करना चाहिए और आय के अवसर तलाशने चाहिए।