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यूपी: वाराणसी के दशाश्वमेध में खिचड़ी बाबा के यहां मिलता है 365 दिन खिचड़ी, मकर संक्रांति पर भक्तों की रहेती हैं भीड़।
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए जाने वाली विश्वनाथ गली के मुख्य द्वार के ठीक सामने दशाश्वमेध मार्ग पर स्थित खिचड़ी बाबा के मंदिर के समीप भीड़ का आलम लगा रहता है। यहां भक्तों को खिचड़ी बांटी जाती है। वाराणसी के अन्नक्षेत्र में पड़ने वाले इस मंदिर के पुजारी संजय महराज ने बताया कि हम लोग सिर्फ माध्यम हैं। यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं।
वहीं उन्होंने बताया कि यह हमारी 6वीं पीढ़ी है जो भक्तों की सेवा कर रही है। उन्होंने बताया कि मंदिर में खिचड़ी बाबा की मूर्ति के ऊपर में 70 संत पुरुष की मुर्तियां लगी हुई हैं। ये सभी खिचड़ी बाबा हैं। यहां लोग आते हैं और बाबा के प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि एक कड़ाहे का खर्चा ढाई से तीन हजार का खर्च आता है जिसमे 200 भक्त प्रसाद पाते है। इस मंदिर का सारा आयोजन श्रद्धालुओं के सहयोग से होता चला आ रहा है।
वहीं उत्सवों-पर्वों का शहर बनारस हर पर्व को अनूठे ढंग से मनाता है, परंपराओं को सिर-माथे लगाता निभाता है। इस जीवंतता के कारण ही बनारस जिंदा शहर कहा जाता है। यह मकर संक्रांति पर भी नजर आएगा जब बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को परंपरानुसार खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। हालांकि कोरोना के तेज प्रसार को देखते हुए इस बार केवल परंपरा निर्वहन किया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ़ मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को मंगला आरती के बाद बाबा मगदल, तिलकुट, तिल के लड्डू और गुड़-मूंगफली की पट्टी का भोग लगाया जाएगा। मध्याह्न भोग आरती में देशी घी मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। विशेष थाल में इसे दही, पापड़, अचार, चटनी के साथ सजाया जाएगा। सायंकाल सप्तऋषि आरती के बाद बाबा चूड़ा-मटर खाएंगे। इस भोग प्रसाद को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा।