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यूपी: लखनऊ सहित रायबरेली एवं बाराबंकी के 486 गांवों के लोगों का रोडवेज बसों से सफर का सपना इस वित्तीय वर्ष भी नहीं हुआ पूरा।
लखनऊ। राजधानी और इससे जुडे़ रायबरेली एवं बाराबंकी के 486 गांवों के लोगों का रोडवेज बसों से सफर का सपना इस वित्तीय वर्ष में पूरा नहीं होने वाला है। ग्रामीणों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। क्षेत्रों में बस संचालन के लिए अब नई अनुबंध योजना के बाद ही इस पर निर्णय हो सकेगा।
वहीं इससे हजारों ग्रामीणों को रोडवेज सेवाओं का लाभ पाने के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। लखनऊ रीजन से जुड़े करीब 4,416 गांव हैं। इनमें से 486 असेवित गांवों के ग्रामीणों के लिए अभी बसों को चलाया जाना है। इनमें से 206 ग्रामीण क्षेत्रों के लिए टेंडर अपलोड किए गए लेकिन सेवा शतों को देखते हुए बस आपरेटरों को यह योजना रास नहीं आई।
वहीं दूसरी तरफ़ नतीजतन बहुत कम संख्या में आपरेटराें के आने से बस सेवा में अड़ंगा आ गया। इसके चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण अपने गांवों और कस्बों से मिलने वाली बस सेवाओं से वंचित रह गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में अनुबंध के लिए कम संख्या में बस आपरेटर आए। अनुबंध के लिए जो लोग आए उनमें से भी अधिकांश ने शहरी रूट के एक बड़े हिस्से का शामिल करने की शर्त रखी।
वहीं मसले को मुख्यालय भेजा गया। अब नई शर्तों के बाद ही बस सेवाओं की शुरुआत और रूट तय हो पाएंगे। बता दें कि सरकार ने लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को रोडवेज की अनुबंधित बस सेवाओं से जोड़ने के निर्देश दिए थे। इनमें लखनऊ क्षेत्र के बाराबंकी, रायबरेली और राजधानी के हिस्से में 4,416 गांव आए। इन्हें अब तक ग्रामीण सेवाओं से जोड़ लिया जाना चाहिए था लेकिन अब तक सभी गांव इनसे जुड़ नहीं पाए हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ पल्लव बोस, क्षेत्रीय प्रबंधक, ने बताया कि राजधानी लखनऊ से जुडे़ 41 रूटों के लिए टेंडर अपलोड किए गए थे। इनमें से राजधानी लखनऊ के इर्द-गिर्द के सभी ग्रामीणांचल हैं। इनमें रायबरेली, बाराबंकी और लखनऊ के करीब 486 गांव हैं। लेकिन आपरेटरों की संख्या अनुबंध में बहुत कम होने की वजह से टेंडर फिर निरस्त किए गए हैं। अब इसकी सूचना मुख्यालय को दे दी गई है। अनुबंध के लिए नई योजना आने के बाद ही इन पर काम आगे बढ़ेगा।