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यूपी: वाराणसी में 8 अगस्त 1896 को जन्में पद्मश्री से सम्मानित स्वामी शिवानंद जी प्रतिदिन करते हैं योग प्राणायाम, वहीं सेवन करते किचन औषधि।

यूपी: वाराणसी में 8 अगस्त 1896 को जन्में पद्मश्री से सम्मानित स्वामी शिवानंद जी प्रतिदिन करते हैं योग प्राणायाम, वहीं सेवन करते किचन औषधि।

                                 S.K. Gupta Reporter

वाराणसी। हमारे शास्त्रों में जीवेत वर्षम शतम की कामना की गई। एक सौ वर्ष से ऊपर की आयु जी चुके स्वामी शिवानन्द को देखकर यह बात सत्य साबित होती है कि हमारी पूर्व की दो से तीन पीढ़ियों तक लोग स्वस्थ रहकर 100 वर्ष से ऊपर जीते थे। स्वामी शिवानन्द सरस्वती 125 वर्ष की उम्र का दावा करते हैं। उनकी इतनी वर्ष की उम्र तक स्वस्थ्य रहकर जीने के पीछे उनका संयमित दिनचर्या और योग-प्राणायाम है। 

वहीं कोविद 19 के संक्रमण काल में जब 55 वर्ष के ऊपर के लोगों को सचेत रहने की सलाह दी जा रही है तब स्वामी शिवानन्द का पूरी तरह से स्वस्थ रहना ऐसे ही नहीं है बल्कि प्रतिदिन योग- प्राणायाम और घरेलू औषधियों का सेवन है। वे औषधियां स्वामी जी के किचन में ही मौजूद हैं। उनका कहना है कि कोरोना विनाशक दवाइयां तो हमारे किचन में हैं। हम क्यों ऐसी औषधियों के लिए भटकें। स्वामी जी प्रतिदिन उनका सेवन करते है। 

वहीं दूसरी तरफ़ स्वामी शिवानन्द इन दिनों वाराणसी के कबीर नगर स्थित आश्रम में ही रह रहे हैं। स्वामी शिवानन्द का जन्म 8 अगस्त 1896 में वर्तमान बंगलादेश के सिलेट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था। स्वामीजी ने अपने जीवन के शताधिक वसन्त देखने का राज अपनी लाइफ स्टाइल को बताया। स्वामी शिवानन्द की मानें तो आज तक उन्हें जुकाम तक नहीं हुआ। 

वहीं लंबी आयु के पीछे कारण महज संयमित जीवन पद्धति है। प्रति दिन भोर में तीन बजे उठना और नहाने- धोने के बाद भगवत भक्ति में लीन हो जाना उनकी आदत बन गयी है। प्रतिदिन श्रीमद्भगवदगीता के बंगला अनुवाद का पाठ करते हैं।

गीता का श्लोक:-  

अनपेक्ष्य शुचिरदक्ष उदासीन गतव्यथः । 

सर्वारम्भ परित्यागी यो मद भक्त: स में प्रिय: ।