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यूपी: वाराणसी शुक्रवार रात्रि 8.49 बजे राशि परिवर्तन, शनिवार दोपहर 12.49 बजे तक पुण्यकालय।

यूपी: वाराणसी शुक्रवार रात्रि 8.49 बजे राशि परिवर्तन, शनिवार दोपहर 12.49 बजे तक पुण्यकालय।

                         Vinit Jaiswal City Reporter

वाराणसी। सूर्य जब धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैैं। इस साल सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 8.49 बजे हो रहा है, लेकिन स्नान- दान समेत पर्व के विधान 15 जनवरी को पूरे किए जाएंगे। कारण यह कि धर्म शास्त्रीय निर्णय अनुसार सूर्यास्त के बाद सूर्य की मकर राशि में संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन मान्य होता है। यह प्रात: से दोपहर 12.49 बजे तक रहेगी।

वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार सूर्य 365 दिनों से लगभग छह घंटे अधिक समय में 12 राशियों का संपूर्ण चक्र पूरा करता है। प्रचलित अंग्रेजी कैलेंडर में 12 माह (365 दिन) होते हैं, लेकिन सौर वर्ष 365 दिनों से लगभग छह घंटा बाद पूरा होता है। अत: मकर संक्रांति समेत सूर्य की प्रत्येक हर साल लगभग छह घंटे अंतरित होती जाती है। 

वहीं प्रत्येक चौथे वर्ष जब लीप ईयर लगता है तो यह उस साल चौथे वर्ष के आसपास की तिथि में होती है। यह क्रम 71-72 वर्षों तक चलता रहता है। इसके बाद सूर्य की मकर संक्रांति अग्रिम दिनांक में होने लगती है। इस कारण ही कुछ वर्ष पूर्व तक मकर संक्रांति व उसका पुण्यकाल 13-14 जनवरी को होता था। आजकल 14-15 तारीख में मकर संक्रांति होती है और उसका पुण्यकाल 14 या 15 तारीख को होता है। इस तरह कुछ दशकों बाद संक्रांति व उसका पुण्यकाल भी 15 व 16 जनवरी में होने लगेगा।

वहीं सूर्यादि सभी ग्रहों के एक राशि से दूसरी राशि में गमन से संक्रांतियां होती हैं। ग्रह का जिस राशि में प्रवेश होता है उस राशि की संक्रांति मानी जाती है। भास्कराचार्य के रवेस्तु ता: पुण्यतमा: वचन अनुसार सभी ग्रहों की संक्रांतियों में सूर्य की संक्रांति विशेष पुण्यदायक होती है। इसीलिए संक्रांति के नाम से सामान्यतया सूर्य की संक्रांति का ही बोध होता है। 

वहीं सूर्य की भी सभी राशियों में भ्रमण क्रम में 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन सूर्य के उत्तर गोल की तरफ उन्मुख होकर देवताओं की अर्धरात्रि समाप्ति के अनंतर दिन की तरफ अग्रसर होने से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य के दक्षिण से उत्तर की तरफ अग्रसरित होने से इसे उत्तरायण संक्रांति भी कहते हैं।

वहीं श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार अबकी 29 वर्षों बाद मकर संक्रांति पर सूर्य-शनि की युति का दुर्लभ संयोग मिल रहा है। तिथि विशेष पर ब्रह्मï और आनंदादि योग भी बन रहा है। ब्रह्मï योग शांति का प्रतीक है तो आनंदादि योग मनुष्य की असुविधाओं को दूर करता है। संक्रांति के समय ब्रह्मï योग के साथ ही रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का योग है। मित्र नामक महाऔदायिक योग भी लग रहा है। 

वहीं मेदिनीय संहिता के अनुसार यदि मेष, वृषभ, कर्क, मकर और मीन राशि में संक्रांतियां होती हैं तो वे सुखदायी होती हैैं। इस वर्ष मकर संक्रांति वृषभ राशि में घटित होने से सुखदायक रहेगी। फलप्रदीप में कहा गया है कि यदि संक्रांति बैठे अवस्था में प्रवेश करती है तो धन-धान्य की वृद्धि, आरोग्यता की प्राप्ति होती है। संक्रांति का प्रवेश रात में हो रहा है इसलिए उत्तम माहौल रहेगा। मृगशिरा नक्षत्र में होने से 'मंदाकिनी संज्ञा रहेगी। शनिवार दिन होने से यह संक्रांति सुख प्रदान करने वाली होगी।

वहीं दूसरी तरफ़ ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार सूर्यदेव के एक माह बाद धनु से 14 जनवरी की रात मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी। अगले दिन 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। सूर्य के उत्तरायण होते ही विवाहादि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। विवाह का प्रथम मुहूर्त 15 जनवरी को है।