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बिहार: जेडीयू के यूपी प्रभारी केसी त्यागी प्रदेश इकाई के साथ बैठक में बताया कि, जेडीयू मिलकर बनायी सरकार लेकिन यूपी विधान सभा चुनाव में दूरी अब भी बरकरार।
बिहार। राजनीति भी बड़ी अजीब होती है, कहा जाता है इसमें कोई किसी का दोस्त नहीं होता है। यूपी विधान सभा चुनाव में यह नजर भी आ रहा है। बिहार जो तीन पार्टियां एक दूसरे के साथ मिलकर सरकार चला रही हैं वो यूपी के चुनावी रण में एक-दूसरे के सामने खड़ी नजर आ रही हैं। बिहार सरकार के गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को साथ नहीं लिया है।
वहीं जेडीयू ने यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है। भाजपा अपने प्रत्याशी मैदान में उतार रही है। वहीं बिहार सरकार में शामिल विकासशील इंसान पार्टी ने बिना किसी से गठबंधन किए यूपी चुनाव में कूद पड़ी है। उसने कई जिलों में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
वहीं बिहार की गठबंधन सरकार के प्रमुख दल जेडीयू ने यूपी में गठबंधन में हो रही देरी का हवाला देते हुए अकेले चुनाव लड़ने का एलान करते हुए प्रत्याशियों का चयन शुरू कर दिया है। पूर्वांचल की 51 सीटों पर उम्मीदवार तय भी कर लिए हैं। मंगलवार को लखनऊ में जेडीयू के यूपी प्रभारी केसी त्यागी प्रदेश इकाई के साथ बैठक कर रहे हैं। इसमें पूर्वांचल के 11 जिलों से 51 प्रत्याशियों को भी बुलाया गया है।
वहीं इनके साथ अन्य जिलों के प्रत्याशियों का नाम जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा। चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बहराइच, लखनऊ, कानपुर जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र के संभावित प्रत्याशी बैठक में शामिल होंगे।
वहीं बिहार सरकार के गठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी यूपी (वीआईपी) की 160 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी है। पार्टी के प्रमुख व बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकेश सहनी ने पूर्वांचल के कई जिलों में भी प्रत्याशी तय कर लिए हैं।
वहीं यूपी में सत्तारूढ़ रही भाजपा ने प्रमुख रूप से अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन करते हुए चरणबद्ध तरीके से अपने प्रत्याशी उतारने शुरू कर दिए हैं। वीआइपवी की ओर से मंगलवार को जौनपुर के बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर सदर, जफराबाद, केराकत तो वहीं गाजीपुर में जंगीपुर और मीरजापुर के चुनार से अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
बता दें कि बिहार के दलों का यूपी में प्रभाव काफी कम है। लेकिन, पूर्वांचल बिहार से काफी करीब होने की वजह से बिहार की सियासत से भली भांति अवगत है तो वहां के नेताओं का संपर्क भी पूर्वांचल से बना रहा है। जबकि पूर्वांचल में जड़ें जमाने के लिए भी बिहार के क्षेत्रीय दलों ने पूर्वांचल में खूब जनसंंपर्क भी किया है। बीते दिनों भी पूर्वांचल में बिहार के नेताओं के दौरे खूब चर्चा में रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ विधानसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ बनाने की कोशिश हर राजनीतिक पार्टी की होती है। अब जबकि यूपी में चुनाव होने हैं तो तमाम पार्टियां अपने लिए अवसर समझते हुए राजनीतिक समीकरण तय करके मैदान में उतरने को तैयार हैं। बिहार सरकार के गठबंधन में शामिल पार्टियों ने यूपी में अकेले चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी जमीन तलाश ली है।
वहीं जेडीयू को पूर्वांचल का सामाजिक समीकरण अपने पक्ष में नजर आ रहा है। पटेल, मौर्य, चौहान, राजभर जैसी पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में लाने की उसकी कोशिश होगी। वहीं और विकासशील इंसान पार्टी की नजर निषाद और उनकी अन्य उपजातियों पर है। इनका प्रभाव यूपी की 144 से अधिक विधानसभा की सीटों पर है।