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चंदौली : फर्जी प्रमाणपत्र दिखाकर ले रहे सरकारी लाभ, मुकदमा दर्ज, बड़ा सवाल अधिकारियों पर कार्रवाई कब ?

चंदौली : फर्जी प्रमाणपत्र दिखाकर ले रहे सरकारी लाभ, मुकदमा दर्ज, बड़ा सवाल अधिकारियों पर कार्रवाई कब ?

चंदौली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही डिजिटल युग की बात कह रहे हो, लेकिन बावजूद इसके सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में जमकर झोल हो रहा है. आलम यह है कि लोग इन योजनाओं से जुड़े आर्थिक लाभ के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ताजा मामला नक्सल प्रभावित क्षेत्र नौगढ़ का है, जहां एक महिला ने राष्ट्रीय पारिवारिक योजना का लाभ लेने के लिए अपने पति को कागज पर मृत घोषित कर दिया. जिसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी.

दिलचस्प यह है कि उसने चंद पैसे खर्च कर मृत्यु प्रमाणपत्र भी अर्जित कर लिया और कुटुम्ब रजिस्टर में पति को मृत घोषित कर राष्ट्रीय पारिवारिक योजना का लाभ लेने को ऑनलाइन आवेदन भी की, जिसे स्वीकृत कर लिया गया. ग्रामीणों ने जब इसकी शिकायत की तो जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच हुई और यह फर्जीवाड़ा सामने आया. संगीता पत्नी दिनेश जिन्हें कोई पुत्री नहीं है. बावजूद इसके वह कागजों का हेरफेर करके शादी अनुदान योजना का लाभ लेने में सफल रही है. ऐसे में कुल तीन कतिपय लाभार्थियों के खिलाफ नौगढ़ थाने में मामला दर्ज किया गया है.

अवैध तरीके से राष्ट्रीय पारिवारिक योजना लाभ व शादी अनुदान योजना का लाभ लेने की शिकायत बीते माह ब्लॉक सभागार में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में किए जाने के बाद जिलाधिकारी संजीव सिंह के निर्देश पर गठित 3 जनपद स्तरीय अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए जाने पर जिला समाज कल्याण अधिकारी के आदेशों के अनुपालन में अपात्र लाभार्थियों के विरुद्ध नौगढ़ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.

वहीं, प्रभारी निरीक्षक राजेश सरोज ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी राजू प्रसाद मौर्य, ग्राम विकास अधिकारी समाज कल्याण की तहरीर पर रामवृक्ष व दिनेश तथा संगीता के विरुद्ध धारा 420, 468 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई है.

गौरतलब है कि आखिर ये अमदहां चरनपुर के ग्रामीण बिना सरकारी मदद के कैसे इतना बड़ा झोल कर पाए. इसमें लाभार्थियों का प्रथम दृष्टया दोष दिखता है तो उसमें सरकारी कर्मचारियों की भी लापरवाही व जिम्मेदारी व दोषसिद्धी जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन को तय करनी होगा. ताकि कोई अन्य सरकारी कर्मचारी अथवा सेवक चंद पैसों के लिए गलत प्रमाणपत्रों को जारी करने से डरे.