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अर्जेंटीना से श्रीलंका तक, आख़िर क्या होता है मुल्क का दिवालिया होना , जानें पूरी कहानी
श्रीलंका । लातिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना साल 2000 से 2020 के बीच दो बार डिफ़ॉल्टर हो चुका है. 2012 में ग्रीस डिफ़ॉल्टर बना. 1998 में रूस, 2003 में उरुग्वे, 2005 में डोमिनिकन रिपब्लिक और 2001 में इक्वेडोर आदि देश इसमें शामिल हो चुके हैं। वहीं अब श्रीलंका को लेकर यही आशंका है और पाकिस्तान पर से भी संकट के ये बादल छँटे नहीं हैं.
आप को बता दें कि जब कोई व्यक्ति बिल चुकाना बंद कर देता है तो क्या होता है? परेशान करने वाले फ़ोन आते हैं, धमकी भरे पत्र आते हैं और फिर आपकी दूसरी संपत्तियों पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश होती है. इसका अंत दिवालिया होने से होता है. समय पर क़र्ज़ नहीं चुकाने वाले को डिफ़ॉल्टर कहते हैं.
अमेरिकी अर्थशास्त्री केनेथ रोगॉफ़ ने नौ अक्टूबर, 2011 को अमेरिकी मीडिया ऑर्गेनाइज़ेशन एनपीआर के 'ऑल थिंग्स कंसिडर्ड' प्रोग्राम के होस्ट रॉबर्ट स्मिथ से कहा था कि किसी भी देश के लिए डिफ़ॉल्टर होना सामान्य बात है. रोगॉफ़ ने कहा था कि ऐसा सैकड़ों बार होता है.
रोगॉफ़ ने कहा था, ''कई देश दिवालिया हो चुके होते हैं और उन्हें पता भी नहीं होता. यहाँ तक कि इसका ज़िक्र उन देशों की इतिहास की किताबों में भी नहीं होता है. ज़्यादातर देश कम से कम एक या दो बार दिवालिया हो चुके हैं. ऐसा इसलिए है कि क़र्ज़दाता उस देश से कारोबार बंद नहीं करता है. जिस देश पर क़र्ज़ बढ़ता जाता है, वो किसी व्यक्ति की तरह कारोबार बंद नहीं कर देता है. वह कुछ न कुछ भुगतान कर कारोबार जारी रखता है.''