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हरियाणा: दारा सिंह को हराने वाले पहलवान चंदगी राम के अखाड़े में लगी आग।
हरियाणा। हांसी में सिसाए गांव में बना भारत केसरी मास्टर चंदगी राम के अखाड़े में अल-सुबह आग लग गई। जिसके कारण अखाड़े में बने हाल में रखा सारा सामान चलकर राख हो गया। यहां रह रहे खिलाड़ियों का सारा सामान अंदर रखा हुआ था।
वहीं कोच ने गांव के ही कुछ लोगों पर आग लगाने का आरोप लगाया है। जानकारी मिलने के बाद अखाड़े के बाहर गांव के लोगों की भीड़ जमा है। प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर घटना की जानकारी ली है। अखाड़े के कोच सुभाष द्वारा पुलिस को शिकायत दी गई है।
वहीं सिसाए गांव के हिंद केसरी, भारत केसरी, भारत भीम और रूस्तमे हिंद विजेता मास्टर चंदगी राम के नाम से बने अखाड़े को प्रशासन द्वार सील किया गया था। सील करने की वजह गांव की पंचायती जमीन पर अखाड़े का निर्माण बताया जा रहा है। इस बारे गांव के ही कुछ लोगों द्वारा प्रशासन को इस बारे शिकायत की थी। जिसके बाद गुरुवार को ड्यूटी आखाड़े पर सील लगा दी गई।
वहीं अखाड़े में कुश्ती करने के आने वाले खिलाड़ियों के बीच किसी बात को लेकर करीब एक साल से विवाद चल रहा है। इस विवाद के कारण अखाड़े में कोई अप्रिय घटना ना हो, जिसके चलते अखाड़े को सील किया गया था। परंतु आज सुबह अखाड़े में हुई इस घटना से विवाद और गहराता हुआ नजर आ रहा है।
वहीं भारत को कुश्ती में पहचान दिलाने वाले मास्टर चंदगी राम के नाम से सिसाए गांव में करीब 32 साल पहले अखाड़े की नींव रखी गई थी। अखाड़े की नींव का मास्टर चंदगी राम द्वारा ही रखा गया था। अखाड़े के निर्माण के बाद से ही यहां पर अन्य प्रदेशों से भी कुश्ती के गुर्र सिखने के लिए खिलाड़ी आते रहे। अखाड़े में तैयार खिलाड़ी देश-प्रदेश के अलावा विदेशों में भी अपना हुनर दिखाते रहे हैं।
वहीं इस अखाड़े के पहलवानों का ही कमाल था कि गौंडा में हुए नेशनल चैंपियन शिप में इस अखाड़े के पहलवानों ने 6 मेडल अपने नाम किए थे। इस अखाड़े में बतौर पहलवान रहे सैंकड़ों युवा आर्मी व पुलिस की नौकरी में जा चुके हैं। यहां पर मिले प्रशिक्षण की बदोलत 6 युवा टीटी के पद पर तैनात हुए हैं। मौजूदा समय में अखाड़े में करीब 125 युवा कुश्ती के गुर्र सिखने के लिए रहते हैं। ये खिलाड़ी हरियाणा के अलावा दिल्ली, यूपी और राजस्थान से भी हैं।
वहीं अखाड़े के कोच सुभाष ने बताया कि पूरे देश में अखाड़े से खिलाड़ी प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए जाते थे। परंतु अब कुछ लोगों ने वर्षों की मेहनत को बर्बाद करके रख दिया। उन्होंने बताया कि उनसे इस अखाड़े के लिए 32 साल मेहनत की है। ताकि यहां पहलवानों को अच्छा प्रशिक्षण दिया जा सके।