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India-Central Asia Summit: पहला शिखर सम्मेलन आज, व्यापार और अफगान संकट पर होगी चर्चा

India-Central Asia Summit: पहला शिखर सम्मेलन आज, व्यापार और अफगान संकट पर होगी चर्चा


नई दिल्ली । अफगानिस्तान की संकटपूर्ण स्थिति (Afghanistan Crisis) को लेकर आज नई दिल्ली (New Delhi) में पहली शिखर बैठक (first summit) होने जा रही है, जिसमें कनेक्टिविटी, व्यापार, सहयोग के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करने और अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर चर्चा की जाएगी. इस शिखर सम्मेलन में पांच मध्य एशियाई देश (five Central Asian states) भी शामिल होंगे जिनसे विस्तारित पड़ोस के साथ नीति के तहत भारत अफगान संकट पर चर्चा करेगा.

कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान आज शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. इन देशों के नेता देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से कल बुधवार को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने नहीं आ सके थे, लेकिन वर्चुअल मीटिंग के जरिए ये नेता आज शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं . इस कार्यक्रम में पांचों नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है, हालांकि किसी भी देश द्वारा कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है.

PTI के अनुसार, इस शिखर सम्मेलन में कई प्रस्तावों पर चर्चा होने की उम्मीद है जिसमें व्यापार और कनेक्टिविटी, विकास साझेदारी, सहयोग के लिए संस्थागत ढांचे, संस्कृति और दोनों देशों के बीच लोगों के संपर्क पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है. इन प्रस्तावों में भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन को एक नियमित कार्यक्रम बनाने, सहयोग तथा समन्वय को बढ़ावा देने के लिए एक स्थायी सचिवालय का निर्माण, और व्यापार, संपर्क, रक्षा, सुरक्षा व पर्यटन जैसे क्षेत्रों में मंत्री स्तर पर अधिक जुड़ाव के सुझाव शामिल हैं.

वर्तमान में, छह देशों में भारत-मध्य एशिया संवाद नाम से विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक तंत्र है और इसकी तीसरी बैठक दिसंबर में नई दिल्ली द्वारा आयोजित की गई थी. भारत ने इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने और तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान पर सहयोग को मजबूत करने के लिए मध्य एशियाई राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया है.


नवंबर में भारत द्वारा आयोजित अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में सभी पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया था. इनमें से तीन देश, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान, अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं.

यह शिखर सम्मेलन भारतीय और मध्य एशियाई नेताओं के बीच अपनी तरह का पहला जुड़ाव होगा, और इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह बैठक सभी छह देशों द्वारा व्यापक और स्थायी साझेदारी के महत्व को इंगित करती है. भारत के सभी पांच मध्य एशियाई देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं. कजाकिस्तान भारत को यूरेनियम का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार भी है. दोतरफा व्यापार, जिसमें ज्यादातर तेल शामिल है, 2020-21 के दौरान 1.9 बिलियन डॉलर का था.



इससे पहले भारत ने कल बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंत (आईएसआईएल) की मौजूदगी और गतिविधियां चिंता का विषय बनी हुई हैं क्योंकि यह आतंकवादी समूह देश और विदेश में अपनी शक्ति तथा प्रभाव का प्रदर्शन करने के लिए आतंक के ‘घृणित कृत्यों’ को अंजाम देता है.

चेयर ऑफ 1988 तालिबान सैंक्सन कमेटी और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान पर चर्चा करने के लिए हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में यह बात कही. उन्होंने कहा कि एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्सन मॉनिटरिंग टीम ने अपनी 2021 की रिपोर्ट में कहा था कि हक्कानी नेटवर्क के जरिए तालिबान के अलकायदा समेत अन्य विदेशी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध बने हुए हैं. साझा विचारधारा और संघर्ष के कारण ही इन संगठनों के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं.

तिरुमूर्ति ने कहा कि आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंत) की निरंतर उपस्थिति और अफगानिस्तान में इसकी गतिविधियां हमारी चिंता का विषय बनी हुई हैं. देश और विदेश में अपनी शक्ति और प्रभाव का प्रदर्शन करने के लिए इस आतंकवादी संगठन द्वारा उपयोग किए जाने वाले आतंकवादी हमले घृणित कार्य बन गए हैं.