Jharkhand News
झारखंड: हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में बोकारो के एक युवक को उठा ले गई एमपी पुलिस।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में बोकारो से अवैध तरीके से गिरफ्तार युवक के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मध्यप्रदेश पुलिस की ओर से बिना ट्रांजिट रिमांड के ही युवक को गिरफ्तार करने व इस मामले में बोकारो पुलिस की भूमिका पर नाराजगी जताई। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि लगता है कि पुलिस को गिरफ्तारी से जुड़े कानून की जानकारी नहीं है।
वहीं जब दूसरे राज्य में किसी आरोपित को ले जाया जाता है तो पहले उसे स्थानीय अदालत में पेश किया जाता है। ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद ही उसे दूसरे राज्य ले जाया जाता है। विभाग के वरीय अधिकारी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तारी कानून की ट्रेनिंग दिलाएं। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में पुलिस की कार्रवाई से संबंधित विस्तृत जानकारी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई नौ मार्च को होगी।
वहीं दूसरी तरफ़ यह घटना बोकारो की है। सिटी माल से 21 नवंबर को शीतल समीर चौबे को मध्यप्रदेश पुलिस अपने साथ ले गई। एमपी पुलिस ने इसकी जानकारी बोकारो पुलिस को दी थी। बोकारो पुलिस ने इसकी लिखित जानकारी आरोपित के मामा को दी। आरोपित की मां शीतल चौबे ने इसकी जानकारी बोकारो के एसपी को दी और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने अदालत को बताया कि बोकारो पुलिस का यह कहना गलत है कि एमपी पुलिस के पास गिरफ्तारी वारंट था। उनके पास सिर्फ सर्च वारंट था।
बता दें कि वहीं एमपी पुलिस ने 26 सितंबर की गिरफ्तारी की बात कहते हुए बरवानी कोर्ट में आरोपित शीतल समीर चौबे को पेश किया। इससे प्रतीत होता है कि एमपी पुलिस ने अवैध तरीके से आरोपित को उठाया था। बरवानी कोर्ट ने आरोपित को सात दिसंबर को जमानत भी प्रदान कर दी है।
वहीं दूसरी तरफ़ इस दौरान कोर्ट के समक्ष अवैध तरीके से गिरफ्तार करने के चार अन्य मामले आए थे। अदालत ने कहा कि पुलिसकर्मियों को अब गिरफ्तारी से संबंधित कानून का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। अदालत ने पुलिस कर्मियों को जल्द से जल्द इसका प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है।